प्रदेश के जूनियर हाईस्कूलों में कार्यरत अनुदेशकों के मानदेय का मामला

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Update: 2022-09-08 18:22 GMT
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत 27 हजार से ज्यादा अनुदेशकों को 17 हजार मानदेय देने के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की विशेष अपील पर बहस पूरी होने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया है। गुरुवार को अदालत में करीब दो घंटे तक चली बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया है। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने सरकार का पक्ष रखा। अदालत में कहा कि जुलाई 2017 में याचियों ने 8470 रुपये मानदेय की संविदा किया था। इसलिए याचीगण 17 हजार प्रतिमाह मानदेय पाने के हकदार नहीं हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि 17 हजार मानदेय केवल एक साल के लिए जारी हुआ था। महाधिवक्ता ने कहा कि अनुदेशकों की तैनाती एक साल की संविदा पर होती है और कार्य संतोषजनक होने पर नवीनीकरण का नियम है।
अपील की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की खंडपीठ ने की। अनुदेशकों की ओर से सीनियर एडवोकेट एच एन सिंह और अधिवक्ता दुर्गा तिवारी ने अदालत में पक्ष रखा। अदालत को बताया कि एकलपीठ ने याचियों को 17 हजार मानदेय देने का आदेश दिया है। लेकिन राज्य सरकार ने 17000 मानदेय देने के आदेश का पालन नहीं किया। इसके जवाब में राज्य सरकार का कहना था कि केंद्र सरकार की ओर से पूरा फंड नहीं दिया गया है। जबकि केंद्र ने बताया है कि हमने पूरा फंड दे दिया है। प्रदेश के लगभग 27 हजार अनुदेशकों का मानदेय 2017 में केंद्र सरकार ने बढ़ाकर 17000 रुपये कर दिया था। जिसको प्रदेश सरकार ने लागू नहीं किया है। याची विवेक सिंह, आशुतोष शुक्ला और भोला नाथ पांडेय की ओर से याचिका दाखिल की गई थी। जिस पर कोर्ट ने अनुदेशकों को 2017 से 17000 मानदेय 9 प्रतिशत व्याज के साथ देने का आदेश दिया है। इसी फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने विशेष अपील दाखिल की है।
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