मेडिकल कॉलेज में डेढ़ माह पहले मशीन लगी पर नहीं शुरू हो सका सीटीस्कैन

मरीजों का सीटी स्कैन शुरू नहीं हो सका है

Update: 2024-04-16 08:40 GMT

प्रतापगढ़: मेडिकल कॉलेज बने तीन साल हो गए फिर भी मरीजों को सीटीस्कैन के लिए प्राइवेट सेंटरों पर जाकर मोटी रकम खर्च करनी पड़ रही है. करीब डेढ़ महीने पहले सिटी स्कैन मशीन कॉलेज में लग चुकी है लेकिन इसका लाइसेंस अब तक नहीं जारी कराया जा सका है. इस कारण मरीजों का सीटी स्कैन शुरू नहीं हो सका है. पैरवी में लापरवाही का आलम यह है कि जिस रेडियोलॉजिस्ट के नाम पर लाइसेंस का आवेदन किया गया है उसका टीएलडी बैच ही नहीं बना है. रेडियोलॉजिस्ट का टीएलडी बैज बनने के बाद ही लाइसेंस की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी.

एक्सरे, सीटीस्कैन व अल्ट्रासाउंड आदि मशीनों से घातक रेडिएशन निकलता है. एक्सरे, सीटीस्कैन आदि करते समय कर्मचारी व डॉक्टर के शरीर पर कितना रेडिएशन पड़ा इसकी नाप के लिए टीएलडी बैज लगाया जाता है.

मेडिकल कॉलेज के राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय में रेडियोलॉजी के डॉक्टर की कमी से अल्ट्रासाउंड प्रभावित होने लगा तो सीएमओ ने सीएचसी पर तैनात रेडियोलॉजिस्ट डॉ. अहमद कमाल अजीजी को अटैच कर दिया. दावा किया जा रहा है वह अल्ट्रासाउंड कर रहे हैं. किन्तु इसकी पोल तब खुल गई जब उनके नाम पर सिटी स्कैन के लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया गया. किंतु लाइसेंस के लिए उनका टीएलडी बैज मांगा गया तब पता चला कि उनका टीएलटी बैज बना ही नहीं है.

फिलहाल उनके टीएलडी बैज के लिए आवेदन कर दिया गया है. इसके साथ अन्य टेक्नीशिएन के लिए भी टीएलडी बैज मंगाया गया है.

जूनियर डॉक्टर बिना टीएलडी बैज कर रहे अल्ट्रासाउंड

रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर की कमी और अल्ट्रासाउंड न होने से परेशान मरीजों को देखते हुए जूनियर डॉक्टर (जेआर) से अल्ट्रासाउंड कराया जा रहा है. लेकिन जेआर के पास टीएलडी बैज नहीं है. ऐसे में उनके शरीर पर कितना रेडिएशन पड़ रहा है इसका पता नहीं चल पा रहा है. जबकि टीएलडी बैज लगाने का फायदा यह होता है कि जब शरीर में रेडिएशन की मात्रा बढ़ने लगती है तो कुछ दिन के लिए ड्यूटी बदल दी जाती है.

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