प्रदर्शनकारियों से ऐसे बचाई गई रेल यात्रियों की जान, जानिए कैसे थे हालात
प्रदर्शनकारियों से ऐसे बचाई गई रेल यात्रियों की जान, जानिए कैसे थे हालात
सेना में भर्ती के लिए केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना (Agneepath scheme) के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में लगातार विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. तेलंगाना का सिकंदराबाद (Secunderabad Railway Station) रेलवे स्टेशन लगातार 9 घंटों तक हिंसा की आग में जलता रहा. इस दौरान एक युवक की मौत भी हो गई. आक्रोशित युवाओं ने प्रदर्शन के दौरान कई ट्रेन में आग लगा दी. सार्वजनिक संपत्ति में तोड़फोड़ की गई और राजमार्गों और रेलवे लाइन को नुकसान पहुंचाया गया. हालांकि बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के बाद शाम होते होते पुलिस ने सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन से प्रदर्शनकारियों को हटा दिया. बड़ी बात यह है कि जब हिंसक प्रदर्शन चल रहा था, उस दौरान स्टेशन पर बड़ी संख्या में यात्री थे. जानिए इन यात्रियों को वहां से कैसे बचाया गया.
देश के सबसे बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक सिकंदराबाद हिंसा से हिल गया था, क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने वहां खड़ी एक पैसेंजर ट्रेन के कोच में आग लगाने की कोशिश की. एसी पावर कार मैकेनिक सुमन कुमार शर्मा ने न्यूज़ चैनल एनडीटीवी को बताया कि इस कोच में 40 से ज्यादा यात्री सवार थे. हालांकि रेलवे कर्मचारियों की सूझबूझ से सभी यात्रियों को सुरक्षित बचा लिया गया. रेलवे कर्मचारी यात्रियों को समय रहते दूसरे कोच में ले गए. सुमन कुमार शर्मा ने बताया कि प्रदर्शनकारी हजारों की संख्या में आए थे और उन्होंने लाठी-पत्थरों से कोच पर हमला किया.
पुलिस ने बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को किया गिरफ्तार
गौरतलब है कि रेलवे, हैदराबाद पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) ने प्रदर्शन कर रहे दर्जनों युवकों को गिरफ्तार किया है. इन प्रदर्शनकारियों ने अग्निपथ योजना को खत्म करने और सेना भर्ती के लिए लंबित परीक्षा आयोजित करने की मांग पूरी होने तक स्टेशन छोड़ने से इनकार कर दिया था. पथराव कर रहे और रेलवे संपत्ति को निशाना बना रहे प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस की ओर से की गई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए.
सुबह 9 बजे रेलवे स्टेशन में घुसे थे प्रदर्शनकारी
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने सुबह 9 बजे रेलवे स्टेशन के पास धरना देकर धरना शुरू किया था. इसके बाद प्रदर्शनकारी रेलवे स्टेशन में घुस गए और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने लगे. हालांकि स्टेशन पर तैनात रेलवे पुलिस के जवानों की संख्या प्रदर्शनकारियों से ज्यादा थी. जल्द ही हिंसा कई प्लेटफार्मों पर फैल गई और यात्री सुरक्षित बाहर निकल गए.