विकास पर भारी जातीय गणित पार्टी पर भारी दावेदार का चेहरा

Update: 2023-05-01 07:33 GMT

मेरठ न्यूज़: शहर के विकास और नागरिक सुविधाओं में वृद्धि के नाम पर होने वाले नगर निगम चुनाव में विकास और नागरिक सुविधाओं का मुद्दा पीछे छूटने लगा है.महापौर प्रत्याशियों के साथ जागरूक वोटर भी जातीय गुणा-भाग में लग गए हैं.हर कोई प्रत्याशी अपनी बिरादरी की वोटों के साथ पार्टी समर्थित वोटों की ताकत दिखाकर अपने को जीता हुआ बता रहा है.जातियों की संख्या के हिसाब से प्रत्याशियों के कार्यक्रम तय हो रहे हैं.उनके इलाकों में बिरादरी के नेताओं को उतारकर वोट पक्की की जा रही है.

नगर निगम चुनाव में शहर के 12.58 लाख वोटर महापौर और पार्षदों के लिए वोट डालेंगे.महापौर प्रत्याशियों के साथ पार्षद प्रत्याशियों को भी सभी प्रमुख पार्टियों ने उनकी जातीय वोटों की संख्या के हिसाब से टिकट देकर मैदान में उतारा है.इससे साबित हो गया है कि विकास की बातें करना सिर्फ औपचारिकता है.प्रत्याशियों के चयन में जातिगत वोटों की संख्या बहुत मायने रखती है.मेरठ में दूसरे चरण के तहत 11 मार्च को वोट डाले जाने हैं.

पार्टी प्रत्याशियों की बात करें तो भाजपा ने पंजाबी समुदाय के पूर्व महापौर हरिकांत अहलूवालिया पर दोबारा दांव लगाया है.जबकि समाजवादी पार्टी ने सरधना विधायक एवं गुर्जर समाज से आने वाले अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को मैदान में उतारा है.

शहर में जाटों की संख्या को देखते हुए आम आदमी पार्टी ने ऋचा सिंह और मुस्लिम वोटों की संख्या सबसे अधिक होने के चलते बसपा ने हसमत मलिक और कांग्रेस ने नसीम कुरैशी पर दांव खेला है.

कोर वोटर के गुणा भाग में लगे दावेदार

सभी प्रत्याशी अपनी जाति की वोटों के अलावा पार्टी के कोर वोटरों की गुणा-भाग में लगा है.जीत के लिए वोटों की कमी को पूरा करने के लिए दूसरी बिरादरी की वोट खींचने के लिए उसी बिरादरी के नेता को आगे कर प्रचार कराया जा रहा है.मौजूदा चुनावी परिदृश्य में जहां जातीय गुणा-भाग विकास पर भारी पड़ता नजर आ रहा है तो वहीं पार्टियों पर दावेदारों का चेहरा भारी पड़ रहा है.

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