बदलाव पर विचार को दारूल उलूम में 30 अक्टूबर को होगा 450 मदरसों का अधिवेशन
देवबंद। बदलते वक्त के साथ इस्लामिक तालीम में बदलाव की जरूरत को विद्वानों ने महसूस करते हुए देशभर के मदरसा संचालकों का एक सम्मेलन 30 अक्टूबर को देवबंद में आयोजित करने का फैसला लिया है। संस्था के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने आज देवबंद स्थित दारूल उलूम के गेस्ट हाउस में पत्रकारों को बताया कि 30 अक्टूबर को देवबंद में रशीदिया मस्जिद में देशभर के करीब 450 मदरसों के प्रतिनिधि शामिल होंगे और 29 अक्टूबर को इन मदरसों की 50 सदस्यीय वर्किंग कमेटी की बैठक होगी।मोहतमिम नोमानी ने बताया कि 12 और 13 सितंबर को दारूल उलूम की प्रबंध समिति की बैठक में मदरसों के पाठ्यक्रम आदि में बदलावों की जरूरत को महसूस किया गया था। दारूल उलूम खुद अपने यहां हिंदी, अंग्रेजी को अनिवार्य विषय बना रहा है और ऊंची कक्षाओं में प्रवेश की योग्यता हाईस्कूल निर्धारित करने जा रहा है। स्वतंत्रता के बाद पहली बार इस्लामिक तालिम के क्षेत्र में बड़े बदलाव होने जा रहे हैं। दारूल उलूम के सामने अनेक बार केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा में बदलाव और आधुनिकीकरण के प्रस्ताव आए हैं लेकिन कभी भी यह संस्था और इसके प्रबंधक कभी तैयार नहीं हुए लेकिन देश में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने और उत्तर प्रदेश में योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद जो माहौल पैदा हुआ है। उसमें मदरसों के संचालकों में नरमी आई है और वे अब शिद्दत के साथ अपनी शिक्षा व्यवस्था में बदलाव को तैयार हुए हैं और मदरसों का रवैया राष्ट्रवादी हुआ है। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और राष्ट्रीय ध्वज फहराने की नई परंपराएं शुरू हुई हैं। मदरसों के सर्वे को भी दारूल उलूम ने हरी झंडी दी है। मोदी के स्वच्छता अभियान का भी समर्थन किया है और पहली बार मदरसे देश में समन्वयवादी नजरिए को अपनाते दिख रहे हैं। अब सभी की नजरें 30 अक्टूबर के अधिवेशन पर टिक गई हैं। देखना है कि देशभर के देवबंदी उलेमा बदलाव को लेकर कितना साहस दिखाते हैं।