सोनिया गांधी के गढ़ रायबरेली का हाल: कांग्रेस का सूपड़ा साफ, प्रत्याशी तक नहीं उतार पाई पार्टी
उत्तर प्रदेश में शनिवार को ब्लॉक प्रमुख पद के लिए चुनाव हुए. इन चुनावों में भाजपा को शानदार जीत हासिल हुई. राज्य में 825 सीटों में से 334 पर निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख चुने गए. जबकि 476 सीटों पर आज मतदान हुआ. इन चुनावों में भाजपा को 600 (निर्विरोध+मतदान में जीत) से ज्यादा सीटों पर जीत मिली. जबकि सपा 100 के भीतर सिमट गई. वहीं, कांग्रेस का चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया. यहां तक कि कांग्रेस ने सोनिया गांधी के गढ़ कहे जाने वाले रायबरेली में तक अपने प्रत्याशी नहीं उतार पाए. कांग्रेस ने जिले के 18 ब्लॉकों में ब्लॉक प्रमुख बनाने के लिए दूसरी पार्टी के प्रत्याशियों को वॉकओवर दिया.
भाजपा ने 18 में से 11 ब्लॉक प्रमुख की सीटों पर जीत हासिल की. वहीं, सपा के खाते में रायबरेली की 2 सीटें आईं, जबकि निर्दलियों ने 5 पर जीत हासिल की. वहीं, कांग्रेस को चुनाव के लिए प्रत्याशी तक नहीं मिले.
जिले के बड़े नेताओं ने लहराया परचम
इस चुनाव में जिले के सारे बड़े नेताओं ने परचम लहराया. बाहुबली विधायक स्वर्गीय अखिलेश सिंह की पत्नी, एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह का बेटे, पूर्व विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह की बहू और कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे की पत्नी ने इस चुनाव में अपनी अपनी सीटों से जीत हासिल की.
5 ब्लॉक प्रमुख निर्विरोध रहे
नॉमिनेशन में ही साफ हो गया था कि रायबरेली में भाजपा का दमखम दिखने वाला है. पार्टी के 5 प्रत्याशी तो नॉमिनेशन के दिन ही निर्विरोध चुने गए थे. गौरा ब्लॉक में तो समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी पर्चा तक नहीं भर पाए. यहां तक कि पूर्व कैबिनेट मंत्री और क्षेत्रीय विधायक मनोज कुमार पांडे को इसके लिए धरना भी देना पड़ा. बावजूद इसके वे पर्चा नहीं भरवा सके. यहां से उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बहू चुनाव मैदान में थीं. ऐसे में वे निर्विरोध जीत गईं. हालांकि, विपक्षी दलों ने प्रशासन और भाजपा नेताओं पर भेदभाव का आरोप भी लगाया.
इसके अलावा जगतपुर , डीह, महराजगंज और बछरांवा मैं भी भाजपा के प्रत्याशियों को ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी निर्विरोध ही मिल गई.
इन 4 सीटों पर थी सबकी नजरें
चुनाव के पहले रायबरेली के 4 ब्लॉकों पर सब की नजर टिकी हुई थीं. पहली सीट अमावा थी, यहां बाहुबली विधायक स्वर्गीय अखिलेश सिंह की पत्नी पहली बार चुनाव लड़ रही थीं. दूसरी सीट हरचंदपुर थी, यहां एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह के बेटे पीयूष अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर रहे थे. तीसरी सीट तीसरी सीट लालगंज की थी जहां पर समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह की बहू मैदान में थीं. जबकि चौथी सीट ऊंचाहार थी, यहां भाजपा के प्रत्याशी के खिलाफ भाजपा के ही पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ जिला अध्यक्ष अभिलाष कौशल चुनौती दे रहे थे।
लालगंज में देवेंद्र प्रताप सिंह की बहू के सामने भाजपा के प्रत्याशी बड़ी टक्कर दे रहे थे. लेकिन जीत सपा के पूर्व विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह की बहू की हुई. उधर, शिवगढ़ ब्लॉक में भाजपा के प्रत्याशी पूर्व एमएलसी राकेश प्रताप सिंह के बेटे हनुमंत सिंह और एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह के प्रत्याशी शिल्पा सिंह के बीच कांटे का मुकाबला हुआ. दोनों को बराबर वोट मिले. लेकिन प्रशासन द्वारा कराए गए टॉस में हनुमंत सिंह को जीत मिली. हरचंदपुर ब्लॉक से पीयूष प्रताप सिंह को जीत मिली. उन्होंने अशोक कुमारी को मात दी.
तैनात था भारी पुलिसबल
शनिवार को सुबह से ही हर तरफ हार और जीत की चर्चाएं चल रही थीं. उधर, नॉमिनेशन के दौरान उपद्रवियों के उत्पाद के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने पनी व्यवस्था को लेकर खासी की थी. हर ब्लॉक में 75 से ज्यादा पुलिस बल 3 लेयर में सुरक्षा की व्यवस्था की गई थी. शांति और व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए उच्चाधिकारियों ने अपनी नजरें गड़ा रखी थी.
ब्लॉक प्रमुख पद पर जीते हुए प्रत्याशियों की सूची
1 हरचंदपुर - पीयूष प्रताप सिंह (भाजपा)
2 सतांव - आशुवेंद्र सिंह (भाजपा)
3 छतोह संगीता (निर्दलीय)
4 लालगंज - शिवानी सिंह (सपा)
5 शिवगढ़ - हनुमंत सिंह (भाजपा)
6 खीरों - अनिल सिंह उर्फ नीलू सिंह (भाजपा)
7 राही - धर्मेंद्र उर्फ राजीव यादव (निर्दलीय)
8 रोहनिया - राकेश कुमार (सपा)
9 ऊंचाहार - सत्यभामा मौर्या (निर्दलीय)
10 सलोन - अंजू कुशवाहा (भाजपा)
11 सरेनी - विभा सिंह (निर्दलीय)
12 अमावां - वैशाली सिंह (निर्दलीय)
13 डलमऊ - शिव राम रावत (भाजपा)
इन 5 सीटों पर निर्विरोध चुने गए प्रत्याशी
14 - दीनशाह गौरा - सविता मौर्य (भाजपा)
15 - जगतपुर - दल वहादुर सिंह (भाजपा)
16 - बछरांवा - अमन सिंह (भाजपा)
17 - महराजगंज - राजकुमार (भाजपा)
18 - डीह - मिथिलेश (भाजपा)