केजीएमयू में कुत्ते-बिल्ली व चूहों का आतंक

आवारा-लावारिस पशुओं की रोकथाम में अफसर नाकाम

Update: 2024-03-28 06:56 GMT

मथुरा: केजीएमयू में कुत्ते-बिल्ली और चूहे चाहे जिंदा इंसान को काटें या फिर उनके कटे हुए अंगों को नोंचे. इस बदइंतजामी से निपटने का केजीएमयू प्रशासन के पास कोई ठोस तरीका नहीं है. ओपीडी से लेकर वार्ड तक में कुत्ते घूम रहे हैं. इससे कैंसर, सर्जरी समेत दूसरे विभाग में भर्ती मरीजों में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. मरीज-तीमारदार दहशत में हैं.

मरीजों को थमा दिए जाते हैं कटे अंग केजीएमयू के शताब्दी फेज दो के सामने इंसान का कटा हाथ मुंह में दबाकर कुत्ता घूम रहा था. डॉक्टरों का कहना है कि ऑपरेशन कर अंग काटने के बाद उसे मरीजों की मांग के हिसाब से सुपुर्द कर दिया जाता है. मरीज निस्तारण की जानकारी भी दी जाती है. कुछ तीमारदार इसमें लापरवाही करते हैं. कटे अंग खुले में फेंक देते हैं. दूसरी तरह केजीएमयू में भी मेडिकल वेस्ट निस्तारण की व्यवस्था ध्वस्त है. इससे मरीज, तीमारदार गंभीर संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं.

केजीएमयू प्रशासन के लिए जानवर बने चुनौती: सबसे ज्यादा जनरल सर्जरी वार्ड में आवारा कुत्तों की फौज रहती है. ट्रॉमा, शताब्दी, मेडिसिन, नेत्र समेत दूसरे विभागों के पास भी आवारा पशु रहते हैं. कई बार कुत्ते-बिल्ली वार्ड तक में दाखिल हो जाते हैं. चूहों से निपटना भी केजीएमयू प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. जनरल से लेकर प्राइवेट वार्ड में चूहों का आतंक है. कई बार मरीजों को चूहों काट चुके हैं. महंगी मशीनों को भी नुकसान पहुंचा चुके हैं.

केजीएमयू में एक हजार सुरक्षाकर्मियों की फौज: आवारा जानवरों की रोकथाम के लिए केजीएमयू में लगभग 1000 सुरक्षाकर्मी व अन्य कर्मचारी हैं. इसके बावजूद कुत्ता, बिल्ली, गाय आदि की रोकथाम नहीं हो पा रही है.

Tags:    

Similar News

-->