वाराणसी: जीरो फिगर साइज की फितूर युवतियों को टीबी का मरीज बना रहा है. बीएचयू अस्पताल के मेडिसिन और न्यूरोलॉजी विभाग में हर माह तीन-चार से केस ऐसे आ रहे हैं, जिनमें ब्यूटी बोन दिखाने की चाह में संपन्न घरों की युवतियां इसकी चपेट में आ गईं. पहले यह बीमारी आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को उचित खानपान नहीं मिलने से होती थी.
चिकित्सकों के अनुसार कम समय में वजन घटाने की युवाओं में होड़ मची है. एक या दो महीने में तीन से चार किलो वजन घटाने के चक्कर में युवा डाइटिंग करने के साथ हार्डवर्क भी करते हैं. जिससे इनका शरीर पतला हो जाता है लेकिन प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है. इस कारण आसानी से टीबी का संक्रमण इन्हें घेर लेता है. टीबी का संक्रमण हवा के माध्यम से फैलता है. किसी भी टीबी पीड़ित व्यक्ति के छींकने, थूकने या श्वास के माध्यम से फैल सकता है. ऐसे में जब लोगों का प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होता है तो वे लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं.
20-20 किलो वजन कम करने की जिद
बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. विजयनाथ मिश्र ने कहा कि हैरत ये है कि संपन्न परिवार की बच्चियां टीबी की चपेट में आ रही हैं. सभी की केस हिस्ट्री में पता चल रहा है कि उन्हें वजन कम करने का शौक है. उन्होंने कहा कि कई मरीज तो ऐसे आ रहे हैं जो साल में 20-20 किलो वजन कम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होगी तो यह बीमारी फिर घेर लेगी.
क्या होता है जीरो फिगर
जीरो फिगर (31-23-32) का मतलब शरीर का ऊपरी हिस्सा लगभग 31 इंच, कमर 23 इंच और कूल्हे का आकार 32 इंच होता है. महिलाओं के लिए जीरो फिगर का यही अर्थ होता है. लेकिन यह पाना इतना आसान नहीं होता है.