मेरठ: भ्रष्टाचार के मामले में घिरे नगर निगम के कर अधीक्षक केशव कुमार का एक माह पहले शासन ने तबादला कर दिया था। आदेश में स्पष्ट था कि स्वत: ही आदेश मिलने के बाद रिलीव हो जाएगा, लेकिन कर अधीक्षक केशव कुमार भ्रष्टाचार की खुल रही फाइलों को निपटाने में लगे हुए हैं। कुछ अन्य कर्मचारियों के स्थानान्तरण की भी चर्चा रही, लेकिन केशव कुमार कर अधीक्षक आज भी अपने कार्यालय में कर संबंधी फाइलों के कार्य को देखने के साथ वार्डों में टीम के साथ जाकर कर वसूली में लगे हैं।
कर अधीक्षक का स्थानान्तरण होने के बाद भी मेरठ नगर निगम का मोह केशव नहीं छोड़ पा रहे हैं, जिसके चलते निगम में कर अधीक्षक का पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं। शासन से भी एक तरह से कर अधीक्षक बड़े हो गए हैं। उसको लेकर तमाम तरह की चर्चाएं निगम में चल रही हैं। बीते बुधवार को भी कर वसूली के लिये गई प्रवर्तन दल की टीम में कर अधीक्षक केशव कुमार भी शामिल रहे, जिसमें उनके साथ गई टीम ने कंकरखेड़ा सेक्टर से वार्ड-6, 35 व 38 से वसूली की।
कर अधीक्षक का स्थानान्तरण रुका है या वह किस आधार पर वसूली एवं कार्यालय में फाइलों के कार्य को देख रहे हैं। उसको लेकर अपर आयुक्त प्रमोद कुमार से बात की गई तो उनका कहना था कि उनके संज्ञान में न तो कर अधीक्षक केशव कुमार के स्थानान्तरण का मामला है और न ही उनके स्थानान्तरण के रुकने का, यह सब जानकारी नगरायुक्त अमितपाल शर्मा बता सकते हैं।
उधर, नगरायुक्त अमित पाल शर्मा का कहना है कि नगर निगम का क्षेत्र काफी बड़ा है और इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। यह जानकारी अपर नगर आयुक्त ममता मालवीय दे सकती हैं, उनसे बात कर ले। इस तरह से नगर निगम के मुखिया अमित पाल शर्मा ने मामले को अपर नगर आयुक्त ममता मालवीय पर टाल दिया। नगर निगम के शीर्ष अफसरों के पास कर अधीक्षक केशव कुमार का तबादला कैसे रुका या फिर जबरिया उसको किसके आदेश पर रोका गया?
यह बताने को तैयार नहीं है। ये हालत नगर निगम की चल रही हैं। एक तरह से शासन के आदेश नगर निगम अफसरों के लिए कोई मायने नहीं रखते। इस तरह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीरो टोलरेंस की नीति पर नगर निगम के अफसर काम कर रहे हैं, जो शासन के आदेश को ही नहीं मानते, फिर जीरो टोलरेंस नीति पर कैसे काम हो रहा होगा, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता हैं।
उधर, कर अधीक्षक केशव कुमार के स्थानान्तरण के बाद नगर निगम में कैसे और किसके आदेश पर रोका गया? इस बारे में अपर नगरायुक्त ममता मालवीय से पूछा गया तो वह भी चुप्पी साध गई। हद तो देखिये कि कार्यालय में बैठी थी, जैसे ही सवाल किया तो आॅफिस से उठकर चल दी और अपनी गाड़ी में बैठकर निकल गई। इस सबसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर निगम के आला अफसर किस तरह का बर्ताव मीडिया के साथ कर रहे हैं।
सवाल पूछने पर जवाब देने से भागते हैं। आखिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में अफसरों को हो क्या गया हैं? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरी तरह से ईमानदारी के साथ काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री की हर तरफ तारीफ हो रही हैं, लेकिन नगर निगम के अफसर जनता के बीच मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल कर रहे हैं।
यदि शासन के आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा हैं तो संबंधित नगर निगम मेरठ के अधिकारियों पर जल्द से जल्द अनुशासनहीनता की कार्रवाई की जाएगी।
-अमृत अभिजात प्रमुख सचिव, नगर विकास विभाग, लखनऊ।