छात्र ने भांग से कपड़ा तैयार किया, यह पूरी तरह से एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल
उत्तरप्रदेश | नॉलेज पार्क स्थित ग्रेटर नोएडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (जीएनआईओटी) के छात्र ने भांग से कपड़ा तैयार किया है. यह पूरी तरह से एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल है. इस कपड़े ने ट्रेड शो में आए लोगों का ध्यान खींचा है.
मेरठ के शास्त्रत्त्ीनगर निवासी आयुष सिंह ने भांग के तने से फैब्रिक निकाल कर कागज और दवा भी तैयार की है. दवा पाचन, पेट दर्द और अर्थराइटिस समेत कई रोग से निजात दिलाती है. ट्रेड शो में छात्र एकेटीयू के इनोवेशन हब के जरिए स्टार्टअप का प्रचार कर रहा है. वह जीएनआईओटी कॉलेज में एमबीए द्वितीय वर्ष के छात्र हैं. उन्होंने भांग के पौधे के बारे में स्टडी के बाद दो वर्ष पूर्व भारत हैंप एगो प्राइवेट लिमिटेड नाम से स्टार्टअप शुरू किया.
आयुष ने बताया कि वह भांग के तने को काटने के बाद करीब 36 घंटे तक पानी में डूबाते हैं. पेड़ के फूलकर नरम होने के बाद वह इससे फैब्रिक बाहर निकाल लेते हैं. इस फैब्रिक के जरिए वह कपड़ा तैयार करते हैं. इसकी मैन्यूफैक्चरिंग गजरौला में होती है.
उन्होंने बताया कि चीन फेब्रिकेशन का सबसे बड़ा बाजार है. वो दुनिया का करीब 70 प्रतिशत भांग के फैब्रिक का काम करता है. भारत में लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. भांग का तना या कच्चा माल शोत से मिलता है. यह एक्साइज डिपार्टमेंट के अंदर आता है. इसलिए इसका लाइसेंस लेना होता है. करीब 150 रुपए केजी का कच्चा फैब्रिक मिलता है, जिससे कपड़े बनाए जाते हैं. बाजार में एक शर्ट की कीमत करीब 800 से 1000 रुपये तक है. इन पर मच्छर या अन्य जहरीली कीटें नहीं बैठती. भांग का प्रयोग आयुर्वेदिक मेडिसिन में होता है.
दूध से साबुन बना रहीं महिलाएं
सोनभद्र के राबर्टगंज की महिलाएं दूध से साबुन तैयार कर रही हैं. यह साबुन त्वचा सबंधी कई रोगों के इलाज में फायदेमंद है. एक साबुन की कीमत करीब 40 रुपये है. राबर्टगंज की 100 महिलाएं इससे जुड़ी हैं. बजरंग बली आजीविका सहायता समूह की अध्यक्षा संजू कुशवाहा ने बताया कि हमने लोगों को जागरूक कर उनसे बकरी का दूध लेकर साबुन बनाना शुरू किया.
निशा मशरूम से चॉकलेट बना लाखों कमा रहीं
आईटीएम विश्वविद्यालय ग्वालियर की छात्रा निशा वीएन ऑर्गेनिक नाम से स्टार्टअप चला रही हैं. उन्होंने बताया कि मशरूम विटामिन डी से भरपूर होने के साथ प्रोटीनयुक्त होता है. इसके फायदे जानने के बाद स्टार्टअप शुरू किया. मशरूम से अर्क निकालकर चॉकलेट तैयार की. इसे एफएसएसएआई से मान्यता भी मिली है. उन्होंने उबली मशरूम से पास्ता, सूखी से आटा और चाय भी तैयार की है. उनके स्टार्टअप में 35 विद्यार्थी शामिल हैं. उनके बनाए गए आइटम यूरोपियन देशों में आपूर्ति किए जाते हैं. वह हर वर्ष 23 लाख से अधिक रुपए कमा रही हैं.