एसएससी की परीक्षा में सेंधमारी करने वाले सीआरपीएफ के सिपाही की तलाश में जुटी STF

Update: 2023-01-20 10:14 GMT

लखनऊ: कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की जीडी कांस्टेबल परीक्षा में सेंधमारी करने वाले गिरोह में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीआरपीएफ) में तैनात सिपाही भी शामिल है। वह यूपी पुलिस के सिपाही अच्युतानंद के गिरोह के साथ मिलकर परीक्षाओं में सेंधमारी करता था। उसकी मुख्य भूमिका पूर्वांचल के जिलों से अभ्यर्थी व सॉल्वर जुटाना था। एक तरह से वह पूर्वांचल का सरगना बनकर काम कर था, फिलहाल उसे एसटीएफ तलाश कर रही है।

जानकारी के मुताबिक प्रदेश के 13 जिलों में 10 जनवरी से जीडी कांस्टेबल की परीक्षा 61 केंद्रों पर ऑनलाइन चल रही है। एसटीएफ के प्रभावी एसएसपी विशाल सिंह के अनुसार एसटीएफ ने कुर्सी रोड टेढ़ी पुलिया स्थित सिन्को लर्निंग परीक्षा केंद्र से तीन सॉल्वर व तीन अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया था। इनसे मिली जानकारी के आधार पर गिरोह के सरगना यूपी पुलिस के सिपाही अच्युतानंद यादव को अयोध्या से दबोचा गया था। सलमान, अमित व सुनील की तलाश की जा रही है। आरोपी सलमान सीआरपीएफ में सिपाही है। इसका सत्यापन किया जा रहा है। अच्युतानंद व सलमान मुख्य रूप से गिरोह का संचालन कर रहे थे।

गौरतलब है कि मंगलवार को यूपी एसटीएफ ने एसएससी (कर्मचारी चयन आयोग) की जीडी कांस्टेबल परीक्षा में सेंधमारी करने वाले गिरोह का राजफाश कर सात आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, इनमें अयोध्या में तैनात सिपाही, तीन सॉल्वर व तीन अभ्यर्थी शामिल हैं। एसटीएफ ने इनके पास से चार प्रवेश पत्र, आठ मोबाइल, 11 आधार कार्ड, तीन निर्वाचन कार्ड, 18 मिक्सिंग फोटो, दो पैन कार्ड, एक एटीएम, एक ड्राइविंग लाइसेंस व एक एनपीएस कार्ड बरामद किये थे। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया, उनमें सिपाही अच्युतानंद यादव, सॉल्वर राकेश कुमार यादव, सॉल्वर विवेक कुमार सिंह, सॉल्वर मनोज कुमार झा, अभ्यर्थी केशवानंद, अभ्यर्थी गुड्डू यादव एवं अभ्यर्थी मनोज यादव शामिल है।

सीओ एसटीएफ लाल प्रताप सिंह के अनुसार अच्युतानंद यादव अपने साथी सलमान व अमित के साथ मिलकर गैंग चलाता था। अमित व सलमान का मुख्य काम फर्जी दस्तावेज जैसे प्रवेश पत्र आदि तैयार करना रहता था। गिरोह में शामिल गुड्डू यादव अभ्यर्थियों व सॉल्वरों को तलाश कर लाता था। गिरोह परीक्षा पास कराने का ठेका लेता था। तीन से पांच लाख रुपये में डील करता। 25-30 फीसदी रकम पहले वसूलते थे। बाकी की रकम परीक्षा पास होने के बाद लेते थे, रकम का लेनदेन नकद ही रहता था।

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