कानपुर। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का खास महत्व होता है। आज अष्टमी पर दुर्गा पूजा पंडालों में संधि पूजन कर मां की आराधना की जाएगी। इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं। अष्टमी तिथि पर पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 4 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगा। संधि पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 4 बजकर 13 मिनट से शाम 5 बजकर 1 मिनट तक रहेगा। शहर में अर्मापुर, एबी विद्यालय, डीएवी लॉन, कालीबाड़ी मंदिर, स्वरूप नगर में दुर्गा पूजा के बड़े आयोजन होते हैं। यहां आज की विशेष पूजा के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। वहीं ढाक की थाप पर धुनुची नृत्य की भी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। कई दुर्गा पूजा पंडालों में रविवार को ही धुनुची नृत्य हुआ।
बारवारी दुर्गा पूजा माल रोड के संयुक्त सचिव अमित कुमार मित्रा बताते हैं, मालरोड का दुर्गा पंडाल शहर के प्राचीन पंडालों में से एक है। आज संधि पूजा का विशेष महत्व होता है। वहीं मालरोड स्थित एबी विद्यालय, किदवईनगर, फूलबाग, मोतीझील, श्याम नगर, अर्मापुर, बाबूपुरवा, काकादेव, डीएवी लॉन, मोतीझील, चकेरी के कालीबाड़ी मंदिर, शास्त्रीनगर, पांडुनगर, OEF, सूटरगंज, कृष्णा नगर से लेकर शहर के बाहरी हिस्सों तक में पंडाल सजते हैं और महामाई के जयकारे गूंजते हैं।
इन दिनों के खास पूजन विधि
अष्टमी- पुष्पांजलि के साथ मां के महागौरी स्वरूप का पूजन। इसी दिन संधि पूजन में दीपोत्सव की तर्ज पर मां के दरबार में दीप जलाकर पूजन होता है। धुनुची नृत्य किया जाता है, जिसमें बंगाली समाज विशेष परिधान पहनकर ढाक की थाप पर नृत्य करता है।
नवमी- मां के कन्या रूप का पूजन
दशमी- मां के दरबार में सिंदूर खेला का आयोजन। मां को पान और मिष्ठान का भोग। सिंदूर अर्पण, संधि पूजन और धुनुची नृत्य।