गोपालगंज न्यूज़: मानसून के आने में हो रही देरी तथा बढ़ते लू के प्रकोप से धान का बिचड़ा सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है.
इससे खरीफ फसल लगाने में देर हो रही है. जिसका सीधा असर रबी फसल पर पङने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. धान का बिचड़ा उत्पादन के लिए उचित तापमान 33 से 35 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. इस समय तापमान 42 डिग्री के पार जा रहा है. ऐसे में धान का बिचड़ा बचाना किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बना हुआ है.
कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ. रामपाल ने बताया कि किसानों को इसके लिए समेकित प्रयास करने की आवश्यकता है. जो किसान एक से दो कट्ठा में धान का नर्सरी तैयार कर रहे हैं, वह दिन में दो-तीन बार पानी का स्प्रे करें तथा पांच दिन के अंतराल पर एनपीके 19 19 19 का 30 ग्राम प्रति लीटर अथवा 40 मिलीलीटर सागरिका तथा 30 मिलीलीटर नैनो यूरिया 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें.
खेत में सिंचाई के साथ वेस्ट डी कंपोजर या जीवामृत का प्रयोग जरूर करें. अधिक क्षेत्रफल में जिन किसानों ने बिचड़ा लगा रखा है, वह शाम के समय धान में हल्की सिंचाई करें तथा सुबह खेत में कहीं भी पानी हो तो उसे खेत निकाल दें. चूंकि दिन के समय खेत में पानी लगा रहने से बढे तापमान के कारण पानी गर्म होने से बिचड़ा के सूखने का खतरा बढ सकता है.
खेत में नमी बनाकर रखें सिंचाई के साथ-साथ वह भी वेस्ट कंपोजर या जीवामृत का प्रयोग करें. वर्मी कंपोस्ट उपलब्ध हो तो ऊपर से उसका प्रयोग करें. पछुआ हवा चलने की स्थिति में बिचड़ा के पश्चिम साइड में गड्ढे में नाली बनाकर पानी भरकर रखें.