लखनऊ न्यूज़: विधानसभा की विशेषाधिकार समिति ने कानपुर में तैनात रहे सीओ अब्दुल समद समेत छह पुलिस कर्मियों को विशेषाधिकार हनन का दोषी पाया है. उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन से संबंधित प्रस्ताव सदन में सर्वसम्मति से पास कर दिया गया. प्रदेश के डीजीपी को सभी दोषी पुलिस कर्मियों को हिरासत में लेकर को सदन में प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए हैं. उन्हें क्या दंड दिया जाए, इस पर को सदन में चर्चा होगी. दोषियों को कठघरे में खड़ा करने का प्रावधान है.
ऐसा विधानसभा के इतिहास में 34 साल बाद हो रहा है. वर्ष 1989 में तराई विकास जनजाति निगम के अधिकारी शंकरदत्त ओझा द्वारा भी अवमानना करने का प्रकरण हुआ था. इस मामले में भी दोषी को कठघरे में खड़ा किया गया था.
शून्य प्रहर में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने विशेषाधिकार हनन के मामले में प्रस्ताव रखा. समिति द्वारा सभी पुलिस कर्मियों को कारावास का दंड देने की संस्तुति की गई है.
दोषी पाए गए पुलिस कर्मी
अब्दुल समद के अलावा किदवई नगर कानपुर के तत्कालीन थानाध्यक्ष ऋषिकांत शुक्ला, तत्कालीन एसआई थाना कोतवाली कानपुर नगर त्रिलोकी सिंह, किदवई नगर थाने के तत्कालीन सिपाही छोटे सिंह यादव, काकादेव थाने के तत्कालीन सिपाही विनोद मिश्र और काकादेव थाने के तत्कालीन सिपाही मेहरबान सिंह यादव शामिल हैं.
यह था मामला
तत्कालीन भाजपा विधायक सलिल विश्नोई ने विधानसभा अध्यक्ष से 25 अक्तूबर 2004 को शिकायत की थी कि 15 सितंबर 2004 को वे कुछ का़र्यकर्ताओं के साथ कानपुर में बिजली कटौती से त्रस्त जनता की कठिनाइयों से संबंधित ज्ञापन डीएम को देने के लिए जा रहे थे. तभी वहां तैनात क्षेत्राधिकारी बाबूपुरवा अब्दुल समद ने अपने साथी पुलिस कर्मियों के साथ मिलकर उन्हें व उनके साथियों को लाठी से जमकर पीटा. साथ में भद्दी-भद्दी गालियां भी दीं.
अब्दुल समद आईएएस होकर हाल में हुए रिटायर
तत्कालीन क्षेत्राधिकारी बाबू पुरवा अब्दुल समद बाद में प्रशासनिक सेवा में आ गए. वह बाद में आईएएस हो गए और हाल ही में रिटायर हुए हैं. वहीं थानाध्यक्ष ऋषिकांत शुक्ला, एसआई त्रिलोकी सिंह, सिपाही छोटे सिंह यादव, विनोद मिश्र व मेहरबान सिंह अभी सेवा में हैं.