सरधना में मुख्य नाले पर जल्द बनेगा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, प्लांट के लिए जल निगम का डीपीआर हुआ तैयार
सरधना न्यूज़: हिंडन नदी को दूषित करने वाले सरधना के मुख्य नाले पर जल्द सीवेट ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की तैयारी है। ताकि हिंडन नदी को दूषित होने से बचाया जा सके। इसके साथ ही इस प्रोजेक्ट से नाले के किनारे स्थित दर्जनों गांव की हजारों बीघा कृषि भूमि को बंजर होने से मुक्ति मिल सकेगी। जल निगम के इस एक प्रोजेक्ट से सरधना ही नहीं यहां से हिंडन तक जुड़े क्षेत्रों को भारी लाभ हो गया। नगर पालिका द्वारा मंढियाई के निकट सीवेट ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए जमीन प्रस्तावित की गई है। जो सीधे तौर पर सरधना देहात ग्राम पंचायत की भूमि है। प्लांट लगने के बाद दूषित पानी को सीवेज करने के बाद ही आगे हिंडन के लिए चलता किया जाएगा। जल निगम ने इसके लिए डीपीआर भी तैयार कर ली है। उम्मीद है कि जल्द प्लांट का कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा।
सरधना का मुख्य नाला नगर ही नहीं दर्जनों गांवों और हिंडन नदी के लिए बड़ी समस्या बनी हुआ है। प्राचीन होने के साथ यह नाला कच्चा है। जिसमें सैकड़ों डेयरियों का पानी, आबादी का दूषित पानी, कचरा व मेरठ रोड पर स्थित फैक्ट्रियों का केमिकल युक्त जहरीला पानी प्रवाहित होता है। यह नाला सीधे हिंडन नदी में जाकर गिरता है। नाले की वजह से इसके किनारे स्थित गांवों की हजारों बीघा कृषि भूमि बंजर होने की कगार पर हैं। इन गांवों में भूगर्भ जल भी दूषित हो गया है। यह समस्या करीब एक दशक से सामने आ रही है। सबसे बड़ा नुकसान यह है कि नाला हिंडन की कोख को जहरीला बना रहा है। सफाई के अभाव में नाला चोक रहता है। जिसका नतीजा कस्बे में जलभराव की समस्या बनती है। यानी नाला एक है और इससे समस्या अनेक हैं। इन सभी समस्याओं को निपटाने के लिए जल निगम ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का प्रोजेक्ट तैयार किया है। इसके लिए जल निगम ने नगर पालिका से जमीन मुहैया कराने के लिए कहा है। पालिका प्रशासन ने मंढियाई पशु पैंठ के निकट स्थित सरधना देहात ग्राम पंचायत की भूमि को प्रस्तावित किया है। प्लांट के लिहाज से भूमि पास हो गई है। यानी कागजी कार्यवाही पूरी होने के बाद जल्द प्लांट का निर्माण शुरू हो जाएगा। जिसके बाद नगर के अलावा नाले के किनारे बसे गांव व कृषि भूमि के साथ ही हिंडन नदी को भी राहत मिलेगी। उम्मीद है कि जल्द प्लांट धरातल पर नजर आएगा।
हजारों बीघा कृषि भूमि चपेट में: नाले की चपेट में हजारों बीघा कृषि भूमि आती है। यह खेती की जमीन नाले की वजह से बंजर होने की कगार पर है। प्लांट लगने के बाद नाले में कम से कम जहरीला पानी तो नहीं बहेगा। जिससे खेती को बचाया जा सकेगा।
भूगर्भ जल हो रहा दूषित: इस नाले के किनारे दर्जनभर गांव बसते हैं और हजारों बीघा कृषि भूमि नाले की जद में आती है। नाला कच्चा होने के कारण जहरीला पानी भू गर्भ में भ समाहित होता है। जिससे इन क्षेत्रों का भूगर्भ जल भी दूषित हो गया है। कुछ देर पानी रखने के बाद पीला पड़ जाता है। प्लांट लगने के बाद भूगर्भ जल में सुधार होने की संभावना है।
नाला एक और समस्या अनेक: यह नाली प्राचीन होने के साथ ही कच्चा नाला है। जो सिंचाई विभाग के अंडर में आता है। इस नाले की सफाई हुए कई साल बीत चुके हैं। जिसका नतीजा यह है कि नाला गोबर और कचरे से चोक रहता है। निकासी बाधित होने के चलते नगर में जलभराव की समस्या बनती है। प्लांट लगने के बाद नाला साफ और बिना रुकावट के प्रवाहित होगा। नगर को जलभराव से निजात मिलेगी।
नाले से हिंडन हो रही दूषित: मेरठ रोड पर दर्जनभर से अधिक फैक्ट्रियां लगी हुई हैं। इनका केमिकल युक्त जहरीला पानी इस नाले में जाकर गिरता है। जो आगे चलकर हिंडन में समाहित हो जाता है। कहीं न कहीं हिंडन को बर्बाद करने में इस नाले का काम भी काफी बड़ा है। प्लांट बनने पर हिंडन के जख्मों पर भी मरहम लगाने का काम होगा।