वैज्ञानिकों ने जारी की सलाह: किसान फसलों की कटाई कर सुरक्षित जगह पहुंचाएं
अभी फिर मौसम गड़बड़ाने की संभावना है उसके पहले ही किसान फसल को सुरक्षित कर लें.
लखनऊ: जिन किसानों की फसलें कट चुकी है और खेतों में अभी है वह फौरन सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा दें. यह बात केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने जारी सलाह में कही है. उन्होंने कहा कि खड़ी फसलें लेट गई थी तो कई प्रभावित हुई थी. अभी फिर मौसम गड़बड़ाने की संभावना है उसके पहले ही किसान फसल को सुरक्षित कर लें.
रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविधालय के वैज्ञानिकों ने हाल के दिनों में हुई बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को बचाने की सलाह दी है. डॉ. अनिल कुमार राय और डॉ. योगेश्वर सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में कई क्षेत्र मेंजिस तरह तेज हवाओं के साथ बारिश गरज के साथ बौछारें पड़ी थी और ओले गिरे थे. उसी तरह फिर बारिश बादल गर्जना की संभावना है.
किसानों को वैज्ञानिकों ने सतर्कता की सलाह दी है. कहा कि अगेती किस्म की फसल लगभग तैयार है. इस कारण उसके पौधे भी बड़े हो गए हैं. वहीं पछेती किस्म वाली फसलों के पौधे अभी काफी हद तक छोटे हैं. गेहूं , मटर, चना, सरसों और सब्जी की फसल को ओलावृष्टि से उपज में भारी नुकसान होने की संभावना रहती है. ऐसी स्थिति में किसान अगेती फसल कटी हुई ह,ै तो फसल को सुरक्षित स्थान पर रखें. बारिश हो तो पानी जमा न होने देैं. पानी के निकास की व्यवस्था करें. अगले तीन से चार दिनों में बारिश के होने की सम्भावना है. किसान सिंचाई के साथ-साथ किसी भी प्रकार के छिड़काव से बचें.
विभाग बोला, बारिश से नहीं हुआ कोई नुकसान: जनपद में बीते दिनों बारिश और ओले गिरे थे. जिसके कारण कई किसानों की फसलें जमीन में धराशाई हो गई थी. जिसको लेकर किसानों ने खूब प्रदर्शन किया था. पर राजस्व विभाग फिलहाल आंकड़ों के अनुसार नुकसान नहीं मान रहा जिसके कारण किसानों कोई मुआवजा मिलने की संभावना नहीं रहेगी. चना मटर मसूर सरसों में नुकसान हुआ था. वहीं गेहूं और जवा की फसलें खेतों में लेट गई थी. किसानों की मांग थी कि प्लाट टू प्लाट सर्वे हो और उन्हें मुआवजा राशि दी जाए. पर राजस्व विभाग की मानें तो अभी नुकसान जनपद की पांचों तहसीलों में 33 फीसदी या इससे अधिक नहीं हुआ. बल्कि आंकड़ों में करीब 5 से 7 फीसदी नुकसान सामने आया है जिसके कारण किसानों को फिलहाल कोई मुआवजा राशि नहीं मिल सकेगी.