उपेक्षा के चलते अस्तित्व बचाने को जूझ रहा सौंख टीला

Update: 2023-07-16 07:13 GMT
उपेक्षा के चलते अस्तित्व बचाने को जूझ रहा सौंख टीला
  • whatsapp icon

मथुरा न्यूज़: दशकों से उपेक्षा का शिकार सौंख टीला अपने गर्भ में तीन सभ्यताओं के रहस्य छिपाए हुए है. अब यह टीला अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रहा है. यदि पुरातत्व विभाग सजगता दिखाए तो यहां से तमाम पुरातन सभ्यताओं की जानकारी मिल सकती है.

कस्बे के गोवर्धन रोड स्थित यह टीला पुरातात्विक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. सबसे पहले सन 1965 में यहां शासन की नजर गई. तब पुरातत्त्व विभाग ने जर्मन वैज्ञानिक हरबर्ट हर्टल के निर्देशन में यहां खुदाई कराई. बताते हैं कि यह खुदाई सन 1971 तक करीब 6 वर्ष हुई. इसमें टीले से लाल पत्थर निर्मित भगवान बुद्ध की आदमकद प्रतिमाएं मिलीं जो आज भी राजकीय संग्रहालय मथुरा की शोभा बढ़ा रही हैं. वहीं यहां मिले प्राचीन सभ्यता के मृतभांड़ संग्रहालय में संरक्षित हैं. यहां लगाए विभागीय बोर्ड बताते हैं कि इससे मौर्य, शुंग तथा कुषाण कालीन सभ्यताओं के अवशेष प्राप्त हुए हैं. खुदाई में यहां प्राचीन स्नानागार, कुएं तथा एक वर्ग फीट की पतली ईंटे बरबस ही यहां आने वाले लोगों को आकर्षित करती हैं. अब विभागीय उपेक्षा के चलते यह टीला अपना अस्तित्व बचाने को जूझ रहा है. इसके चारों ओर लगी लोहे के तार की बाढ़ तोड़ दी है. स्थानीय लोगों के लिए अब यह उपेक्षित टीला मात्र है.

तत्कालीन प्रधानमंत्री की पुत्री कर चुकी हैं अवलोकन

इस टीले का महत्व इससे स्पष्ट है कि वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पुत्री डा. उपेंद्र कौर इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय नई दिल्ली के छात्रों के साथ इस टीले का अवलोकन करने आईं थीं. तब लोगों को आस लगी कि अब टीले का कायाकल्प हो जाएगा, लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ.

लगातार सिकुड़ता जा रहा है टीला

कई वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में फैला यह टीला अतिक्रमण के कारण निरंतर सिकुड़ता जा रहा है. पक्के आवास तक बन गए हैं. यहां पर वर्ष 2017 के बाद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के सेवानिवृत्ति के बाद कोई नई नियुक्ति भी नहीं हुई है. इससे भी टीले पर अतिक्रमण की गति बढ़ गई है.

Tags:    

Similar News