सरयू नदी का जलस्तर खतरे के बिन्दु से 84 सेमी ऊपर

Update: 2022-10-12 11:10 GMT

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में बुधवार को सरयू नदी का जल स्तर खतरे के बिन्दु से 84 सेमी ऊपर हो गया है तथा यह लगातार बढ़ रहा है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की निगरानी के लिए 12 बाढ़ चौकियां स्थापित की गयी है। जिला प्रशासन ने बताया कि सरयू खतरे के निशान से 84 सेमी ऊपर बह रही है। नदी का पानी 02 दर्जन से अधिक गांवो मे पहुंच गया है। केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार नदी के जल स्तर में और वृद्धि होने की संभावना जताई जा रही है। आज बारिश की संभावना नहीं है। इस बीच बाढ़ से घिरे सुविकाबाबू गांव की स्थिति संवेदनशील बनी हुई है।

राज्य आपदा राहत बल (एसडीआरएफ) की टीम लगाई गई

यहां राज्य आपदा राहत बल (एसडीआरएफ) की टीम लगाई गई है। बाढ़ के पानी से कुर्मियाना, सुविकाबाबू, टेढ़वा, सतहा, भूअरिया, देवारागंगबरार का केवटहिया पुरवा, पूरे मोतीराम और बसावनपुर गांव चारों ओर से पानी से घिर चुके हैं। पूरे मोतीराम व बसावनपुर में पानी घरों में घुस रहा है। टकटकवा, विसुनदासपुर की अनुसूचित बस्ती भी पानी से घिर गया है। विशुनदासपुर के लोग मवेशियों सहित तटबंध पर शरण ले रहे हैं।

बरसात के पानी से नदी के आसपास धान की फसलें डूबी हैं

,कल्यानपुर, भरथापुर व विशुनदासपुर के लोग तटबंध व परिषदीय विद्यालय में शरण लेने लगे हैं,वर्तमान समय में बारिश रुका हुआ है। बाढ़ और बरसात के पानी से नदी के आसपास धान की फसलें डूब गयी है। घघौवा पुल के रास्ते पानी हाईवे पार कर परशुरामपुर ब्लॉक की ओर बढ़ रहा है।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में करीब 12 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में करीब 12 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं। इनमें से विक्रमजोत क्षेत्र में चार बाढ़ चौकियों रानीपुर बंधा, प्राथमिक विद्यालय फूलडीह, भौसिया डाक बंगला और ठोकर नंबर 10 से निगरानी की जा रही है। बाढ़ प्रभावित गांव कल्यानपुर में दो, माझा मड़ना में पांच, माझा किता अव्वल में लगभग 9 नाव व मोटर बोट की व्यवस्था की गई है।

राहत सामग्री एवं दैनिक उपयोग की वस्तुयें भी पहुंचाई जा रही

कलवारी-रामपुर तटबंध के दक्षिण बसे गांव तक बाढ़ का पानी पहुंच गया है। लगभग 230 हेक्टेयर धान की फसल पानी में डूब गई है पानी और फसल को निहार रहे किसान फसलों को जानवरों से बचाने के लिए लिए बांस-बल्ली गाड़कर मच्छरदानी और रस्सी से घेरे हुए हैं। फसल को बचाना अब बहुत ही मुश्किल है। इन गांवों में राहत सामग्री एवं दैनिक उपयोग की वस्तुयें भी पहुंचाई जा रही हैं।

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