विद्यापीठ में जलपान का खर्च 15 लाख रुपये

भत्तों के नाम पर अनियमितता

Update: 2023-08-14 09:16 GMT

वाराणसी: लेखा परीक्षा विभाग की तरफ से जारी वर्ष 2014-15 की ऑडिट रिपोर्ट में विद्यापीठ व संविवि में धन के दुरुपयोग व नियम विरुद्ध भुगतान के मामले सामने आए हैं. विद्यापीठ में सिर्फ मूल्यांकन के दौरान जलपान का व्यय 15.35 लाख है जबकि संविवि में 41.71 करोड़ के व्यय का हिसाब नहीं है.

वर्ष 2018-19 के रिपोर्ट में विद्यापीठ में बिना अनुमोदन अंशकालिक अध्यापक, कर्मचारियों के वेतन पर 1.69 करोड़ के भुगतान का मामला है. लेखा लिपिक पदों पर अनर्ह कार्मिकों की नियुक्ति से 1.09 करोड़ ,निर्माण-मरम्मत में 3.35 करोड़ की 41 पत्रावलियों को प्रस्तुत न कर पाने और अधिकारियों, कर्मचारियों और एजेंसियों पर 4.02 करोड़ का अग्रिम भुगतान शामिल हैं. दोषपूर्ण क्रय प्रक्रिया से 98.60 लाख के कागज की खरीद और बिना टेंडर प्रक्रिया का अनुपालन किए 89.15 लाख के भुगतान के मामलों को रेखांकित किया गया है. लेखा परीक्षा विभाग ने विद्यापीठ में कुल 17 करोड़, 29 लाख, 65 हजार 195 रुपये की अनियमितता पकड़ी है.

संविवि में कुल गड़बड़ी 62.76 करोड़ रुपये से ज्यादा की है. इसमें सबसे बड़ी 41.71 करोड़ रुपये का है. विभिन्न मदों में हुए व्यय में इतनी धनराशि का अंतर पाया गया है. वेतन मद के 12.24 करोड़ का दुरुपयोग, 7.03 करोड़ रुपये के व्यय प्रमाणकों की अप्रस्तुत रहना शामिल है.

भत्तों के नाम पर अनियमितता

जलकल विभाग में कर्मचारियों के भत्तों के नाम पर लाखों रुपये की वित्तीय अनियमितता की गई. कैग की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार 2017-18 में जलकल के कर्मचारियों को बिना शासनादेश अतिकाल भत्ता, त्यौहारी भत्ता और मानदेय के नाम पर 71.26 लाख का भुगतान किया गया.

विद्यापीठ में आर्थिक अनियमितता को कम किया गया है. खामियां दुरुस्त करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. निर्माण संबंधी गड़बड़ियां विवि प्रशासन से ज्यादा कार्यदायी संस्थाओं से जुड़ी हैं. संस्कृत विवि में आर्थिक अनियमितताओं की एसआईटी की जांच चल रही है. -प्रो. आनंद कुमार त्यागी, वीसी, विद्यापीठ व संविवि

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