धर्म सेंसर बोर्ड ने फिल्मों में हो रहे हिंदू देवी-देवताओं के अपमान पर जारी की यह गाइड लाइन
दिल्ली: फिल्म अछवा वेब सीरीज के जरिए हिंदू देवी-देवताओं का अपमान, सनातन संस्कृति की छवि धूमिल करने के साथ ही अश्लीलता परोसने पर रोक लगाने के लिए गठित धर्म सेंसर बोर्ड की बृहस्पतिवार को इलहाबाद माघ मेले में गाइड लाइन जारी कर दी गई। ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस बोर्ड की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि यह बोर्ड केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड का पूरक होगा।
इस नौ सदस्यीय बोर्ड में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक समेत न्यायविद् और सिने जगत की भी हस्तियां शामिल हैं। त्रिवेणी मार्ग स्थित ज्योतिष्पीठ के शिविर में दोपहर पत्रकारों से बातचीत में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने धर्म सेंसर बोर्ड का कामकाज के तरीकों के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि किसी हिंदू देवी-देवताओं के रूप में धार्मिक किरदार को किसी भी फिल्म, वेब सीरीज में दिखाने की अनुमति तब तक नहीं दी जाए, जब तक उसके किसी भाग में कोई दृश्य, शब्दावली, संवाद, गीत, हाव -भाव, भावार्थ कुछ भी सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति पर विपरीत असर डालता हो।
जिस फिल्म में धर्म, संस्कृति, राष्ट्रीय मान बिंदुओं का हनन या उपहास होता हो, उसके प्रमाणन अथवा प्रदर्शन पर सम्यक रूप से रोक लगाई जाए। उन्होंने कहा कि फिल्मों में महिला एवं पुरुष कलाकारों के परिधान भारतीय मर्यादा को रेखांकित करने वाले हों और अश्लीलता को बढ़ावा न मिले। दोअर्थी गीतों और भावों वाले संवाद पर भी रोक लगनी चाहिए। महिलाओं के साथ हिंसा की घटनाओं को भी प्रस्तुत न किया जाए। इसके लिए फिल्म सेंसर बोर्ड को धर्म सेंसर बोर्ड की विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए उससे परामर्श करना चाहिए।
ताकि समाज या धर्म, संस्कृति, परंपरा का हनन न होने पाए। यह बोर्ड यह भी सुनिश्चित करेगा कि फिल्मों के शीर्षक धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले न हों। इसके लिए बोर्ड की कार्यशैली झोंको, टोको, रोको के तहत अपनाई जाएगी। इस बोर्ड की मदद से स्कूल- कॉलेज और विश्वविद्यालयों में ऐसे कोई भी पाठ्यक्रम होंगे तो उनको भी हटवाया जाएगा ।
इस बोर्ड के संरक्षक ज्योतिष्पीठाधीश्वर खुद होंगे। इस बोर्ड के प्रमुख सुरेश मनचंदा बनाए गए हैं। इनके अलावा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. पीएन मिश्र, स्वामी चक्रपाणि, अभिनेत्री मानसी पांडेय, उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद के उपाध्यक्ष तरुण राठी, कैप्टन अरविंद सिंह भदौरिया, प्रीति शुक्ला, डॉ. गार्गी पंडित, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक डॉ. धर्मवीर इस बोर्ड में शामिल किए गए हैं।
द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने बृहस्पतिवार को हाथी-घोड़े, ऊंटों से सुसज्जित शोभायात्रा के साथ माघ मेला में प्रवेश किया। शाम को उन्होंने ज्योर्तिमठ में भूधंसान के अलावा गंगा और सहायक नदियों के बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताई। शंकराचार्य ने कहा कि ज्योतिर्मठ में भूधंसान के पीछे बांध विकास परियोजनाएं ही हैं। ऐसी बांध परियोजनाओं की समीक्षा की जानी चाहिए।
द्वारका पीठाधीश्वर ने कहा कि गंगा की धारा को हर हाल में अविरल-निर्मल होना चाहिए। गंगा निर्मलीकरण के लिए सरकारों की ओर से जो प्रयास हो रहे हैं, सिर्फ उनके भरोसे न रहा जाए। उन्होंने साधु-संतों के अलावा नागरिकों का आह्वान किया कि वह गंगा की निर्मलता के लिए आगे आएं। गंगा में किसी तरह की गंदगी न फैलाई जाए। इसलिए कि गंगा हमारी संस्कृति है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में विकास परिनोजनाएं ही विनाशकारी बन रही हैं। इस पर नए सिरे से सोचा जाना चाहिए। इससे पहले दोपहर एक बजे मनकामेश्वर मंदिर से भव्य शोभायात्रा निकाली गई। हाथी, घोड़े के साथ निकली शोभायात्रा में शंकराचार्य का रास्ते में कई जगह स्वागत किया गया। सुबह मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने मां और पत्नी के साथ शंकराचार्य का दर्शन किया।