तीन तलाक के मामले में आरोपी चिकित्सक का रिमांड देने से किया इंकार
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आगरा में विवेचक ने सात साल से कम सजा वाले अपराध में आरोपी चिकित्सक को गिरफ्तार कर रिमांड (न्यायिक अभिरक्षा) के लिए कोर्ट में पेश कर दिया। रिमांड मजिस्ट्रेट सुमित चौधरी ने गिरफ्तारी को अवैध माना। आरोपी का रिमांड देने से इंकार कर दिया। दस हजार रुपये के व्यक्तिगत बंधपत्र (मुचलके) पर रिहाई के आदेश किए। विवेचक से स्पष्टीकरण तलब किया है। कार्रवाई के लिए आदेश की प्रति एसएसपी को प्रेषित करने के निर्देश दिए हैं।
ये है मामला
सैय्यद पाड़ा निवासी शानू अब्बास का निकाह 14 दिसंबर, 2020 को नई दिल्ली के संगम विहार निवासी मोहम्मद जैद रियाज के साथ हुआ था। शानू अब्बास की ओर से लोहामंडी थाना में मुकदमा दर्ज करा आरोप लगाया गया कि पति सहित अन्य ससुराली जन दहेज में फ्लैट की मांग करते हुए उत्पीड़न कर रहे हैं। 30 अक्तूबर, 2021 को उन्हें घर से निकाल दिया। 20 मई को पति, सास, ससुर के साथ मायके आए। इस दौरान तीन तलाक बोल दिया। मामले में दहेज उत्पीड़न, मुसलिम महिला (विवाह पर अधिकारों की सुरक्षा) अधिनियम 2019 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
रिमांड दिए जाने की याचना
मामले के विवेचक दरोगा गौरव कुमार ने आरोपी पति को हिरासत में केस डायरी और अन्य दस्तावेज के साथ 14 दिन का रिमांड दिए जाने की याचना की। आरोपी के अधिवक्ता हम्माद शाहिद हुसैन ने रिमांड पर दिए जाने का विरोध करते हुए तर्क दिए कि आरोपी चिकित्सक हैं। उसके खिलाफ मामला सात वर्ष से कम के कारावास से दंडनीय है। विवेचक ने गिरफ्तारी विधि विरुद्ध की है। सर्वोच्च न्यायालय की ओर से जारी दिशानिर्देश को ताक पर रखकर की गई है।
कोर्ट ने कहा, केस डायरी में नहीं लिखा गिरफ्तारी का कारण
रिमांड मजिस्ट्रेट सुमित चौधरी ने विवेचक, अभियोजन अधिकारी और आरोपी के अधिवक्ता के तर्क सुनने के बाद आदेश में कहा, उल्लेखनीय है कि उक्त धाराओं में दंडादेश की अवधि सात वर्ष है। ऐसे प्रकरण में गिरफ्तारी के समय धारा 41-1 बी (द.प्र.सं.) लागू होती है, जिसके अनुसार ऐसे मामलों में जहां दंडादेश 7 वर्ष या 7 वर्ष कम है, पुलिस अधिकारी गिरफ्तारी के कारणों को लिखेगा। आदेश में कहा कि मामले में विवेचक ने गिरफ्तारी का कोई कारण केस डायरी में अंकित नहीं किया है। कोर्ट ने आरोपी की गिरफ्तारी को विधि विरुद्ध पाते हुए रिमांड निरस्त कर दस हजार रुपये के बंध पत्र पर रिहाई के आदेश दिए। विवेचक के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसएसपी को निर्देश दिए हैं। विवेचक से स्पष्टीकरण तलब किया है। यह भी लिखा कि क्यों न मामला अवमानना के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष भेजा जाए।