भस्म आरती के बाद भगवान महाकाल को सबसे पहले बांधी गई राखी, सवा लाख लड्डुओं का भोग

Update: 2023-08-30 07:02 GMT
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में हर साल रक्षाबंधन के मौके पर अनूठी परंपरा निभाई जाती है. इस साल भी इस परंपरा के साथ बाबा महाकाल के दरबार में रक्षाबंधन मनाया गया. महाकालेश्वर मंदिर में सबसे पहले बाबा महाकाल को राखी बांधी गई और सवा लाख लड्डुओं का महाभोग लगाया गया. पंडित और पुरोहित परिवार ने भगवान महाकाल को राखी बांधकर विश्व शांति और कल्याण की कामना की. भगवान महाकाल को बिना किसी मुहूर्त के सबसे पहले राखी बांधी गई. इसके बाद देशभर में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल के दरबार में पूरे सावन के माह में धूमधाम रहती है. इस महीने सावन महोत्सव मनाया जाता है. रक्षाबंधन के दिन इसका समापन होता है.
 भद्रा काल शुरू होने से पहले बांधी भगवान महाकाल को राखी
बुधवार तड़के तीन बजे से भद्रा काल शुरू होने से पहले बाबा के दरबार के कपाट खोले गए. उसके बाद भस्म आरती की गई इस दौरान सबसे पहले पुजारी परिवार की महिलाओं ने भगवान महाकाल को राखी बांधी. इसके बाद भगवान महाकाल को सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया गया और आरती की गई. आरती के बाद महाप्रसादी का वितरण शुरू किया गया. जो दिनभर चलेगा. पुजारियों के मुताबिक, महाकाल ज्योतिर्लिंग की पूजन परंपरा में श्रावणी पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. इस दिन पुण्य पवित्र श्रावण मास का समापन हो जाता है.
रक्षाबंधन के दिन खोला जाता है सावण का उपवास
पंडितों का कहना है कि भोलेनाथ के जो भक्त सावन के पूरे महीने में उपवास रखते हैं, वे रक्षाबंधन के दिन भगवान महाकाल का लड्डू प्रसाद ग्रहण करने के बाद उपवास खोलते हैं. इसीलिए रक्षाबंधन के पूरे दिन बाबा के भक्तों को पूरे दिन महाप्रसादी का वितरण होता है. परंपरा के मुताबिक, सवा लाख लड्डुओं का भोग भस्म आरती करने वाला पुजारी परिवार लगाता है.
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