कुतुबखाना पुल को छह महीने का पूरा करने का था वादा, बेबसी में अटकी रफ्तार
बरेली: कुतुबखाना पुल के निर्माण की शुरुआत छह महीने में उसे पूरा करने के वादे के साथ हुई थी लेकिन अब इसकी रफ्तार में कई ब्रेक लग गए हैं। सेतु निगम और निर्माण एजेंसी के बीच पुल के डिजाइन का विवाद निपट जाने की खबर के बावजूद निर्माण तेजी नहीं पकड़ पा रहा है। हालत यह है कि 25 दिसंबर से बंद पड़ा काम शुक्रवार को शुरू हुआ लेकिन शनिवार को फिर बंद हो गया। निर्माण एजेंसी का कहना है कि दिन में ट्रैफिक और अतिक्रमण के बाधा बनने की वजह से सिर्फ रात में काम किया जा रहा है। लिहाजा पुल के निर्माण की मियाद का अंदाजा लगाना भी मुश्किल माना जा रहा है।
कुतुबखाना पुल का निर्माण शुरू होने के दौरान ही निर्माण एजेंसी की ओर से सड़क पर अतिक्रमण हटवाकर ट्रैफिक को बंद कराने की मांग की गई थी। इसके बाद प्रशासन की ओर से अतिक्रमण हटाने के लिए एक समिति भी बनाई गई थी। इसकी अगुवाई में एक-दो बार अतिक्रमण हटाने की कोशिश की गई लेकिन यह कोशिश कामयाब नहीं हो पाई। अतिक्रमण हटा और फिर जहां के तहां जम गया। इसके साथ ट्रैफिक भी लगातार गुजर रहा है। निर्माण एजेंसी के मुताबिक इस वजह से दिन में काम करना मुमकिन नहीं है। लिहाजा रात को ही काम किया जा रहा है। यह काम लगातार चल रहा है।
बता दें कि 29 सितंबर से कुतुबखाना पुल का निर्माण शुरू हुआ था। 1307 मीटर लंबे पुल पर 105 करोड़ रुपये का खर्च आना है। निर्माण कार्य शुरू होने के बाद पुल के डिजाइन समेत कई व्यवधान आ चुके हैं। सेतु निगम और निर्माण एजेंसी के बीच तालमेल की कमी की वजह से अब तक की स्थिति काफी खराब रही है। नवंबर में पुल के निर्माण के दौरान पानी की पाइप लाइन फटने से काफी समस्या सामने आई थी। पाइप लाइन अगर समय से शिफ्ट हो जाती तो काम तेजी से आगे बढ़ सकता था। इसके बाद डिजाइन के पेच फंसा तो कई दिन तक काम थमा रहा।
उधर, जिला अस्पताल रोड पर पिलर बनाने के लिए खोदे गए गड्ढे दुकानदारों के साथ राहगीरों के लिए भी मुसीबत बने हुए हैं। निर्माण की रफ्तार न बढ़ने से व्यापारियों की मायूसी बढ़ती जा रही है। व्यापारियों की ओर से ग्राहकों के न आने और गड्ढों के कारण आए दिन हादसे होने की बात कही जा रही है। कई व्यापारियों ने आसपास के इलाकों में कारोबार शिफ्ट कर लिया है।
कैसे शिफ्ट हों बिजली की लाइनें, मशीन ही नहीं खड़ी हो पा रही
निर्माण एजेंसी के अधिकारियों के मुताबिक पुल का निर्माण करने में सड़क के काफी तंग होने की दिक्कत तो है ही, ऊपर से अतिक्रमण भी काफी बाधक बन रहा है। हालत यह है कि कोहाड़ापीर की तरफ बिजली की लाइनों को खंभों से उतारने में तक पसीने छूट रहे हैं। जहां काम होना है, वहां मशीन खड़ी करने के लिए तक पर्याप्त जगह नहीं है, इसलिए जो काम घंटों में हो जाना चाहिए, वह दिन-दिन भर में नहीं हो पा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक यह ऐसी समस्या है जिसका फिलहाल कोई निदान नहीं दिखाई दे रहा है।
29 सितंबर से शुरू हुआ था निर्माण व्यापारियों की चिंता, ऐसे तो खत्म हो जाएगा कारोबार
कुतुबखाना पुल निर्माण ने कारोबार चौपट कर दिया है। एक बार मुश्किल झेलने के बाद ग्राहक दुकान पर दोबारा नहीं आना चाहता। दुकानों के सामने पिलर बनाने के लिए सरिया का जाल बिछाए दो महीने हो रहे हैं। इस लापरवाही से कई तरह के कारोबार पूरी तरह खत्म हो गए हैं। -संदीप भाटिया, व्यापारी
कुतुबखाना पुल का निर्माण 25 दिसंबर से बंद है। अधिकारियों के वादों के बावजूद सुस्ती का यह हाल है कि कारोबार पूरी तरह खत्म हो गया। दुकानों के आगे खोदे गड्ढों के कारण मिट्टी के ढेर लगे हैं। बारिश से हालात और बदतर हो गए थे। कई लोग गिरकर घायल हुए, फिर भी किसी ने सुध नहीं ली। काम अब भी बंद है। -जितेंद्र कुमार, व्यापारी
शुक्रवार को काम हुआ, शनिवार को फिर बंद हो गया। पीक सीजन में दुकानदारों के साथ आम लोग भी निर्माण की सुस्त रफ्तार परेशान हैं। ग्राहकों के लाले पड़े हैं। बारिश से हालात ज्यादा बदतर हो गए थे। मिट़्टी की वजह से फिसलन होने पर बाइक सवार चोटिल हुए तो पैदल निकल रहे राहगीर भी चोटिल होने से नहीं बचे। -अंचित सिंह, व्यापारी
जिला अस्पताल रोड पर दुकानों के आगे पिलर बनाने को गड्ढा खोदा और सरिया का जाल बिछाने के बाद काम रुक गया। एक महीने से यही स्थिति है। काम कब शुरू होता है और कब बंद, पता ही नहीं चलता। झूठे वायदों की झड़ी लगाने वाले अफसरों के साथ अगर जनप्रतिनिधियों ने सख्ती बरती होती तो यह हाल न होता। -राकेश नागपाल, व्यापारी
पुल का निर्माण शुरू होने के बाद दिक्कतें ही दिक्कतें हैं। पिलरों के लिए खुदाई करने के बाद दुकानों के आगे मिट्टी के ढेर लगे हैं। धूल दुकानों में जाती हैं तो बैठना दुश्वार होता है। सेतु निगम और कार्यदायी संस्था के बीच विवाद में कारोबार लगभग शून्य की स्थिति में पहुंच गया है। कुछ दिनों में दुकानों के शटर गिराने पड़ेंगे। -अनूप गुप्ता, व्यापारी
जिला प्रशासन ने व्यापारियों के विरोध के बीच वादा किया था कि सात महीने में पुल तैयार हो जाएगा लेकिन अब हालात देखकर लग रहा है कि आम लोगों की सुविधा के लिए बनाया जा रहा यह पुल व्यापारियों का पूरी तरह बेड़ा गर्क कर देगा। पिलरों की दूरी तय कर टुकड़ों के हिसाब से निर्माण होता तो यह हालात नहीं होते। -नीरज, व्यापारी