पंजाब एंड सिंध बैंक भारत सरकार का है एक उपक्रम

Update: 2022-11-19 10:19 GMT

मेरठ न्यूज़: नगर निगम में जब से नगर आयुक्त के रूप में अमितपाल शर्मा की नियुक्ति हुई है, तब से शांतिप्रिय मेरठ में अपनी छवि एक दबंग अधिकारी के रूप में प्रदर्शित करने का थोता प्रयास कर रहे हैं। उसी प्रकरण में शुक्रवार को नगरायुक्त द्वारा एक ऐसा कृत्य कर दिया गया, जो अपराध की श्रेणी में आता है तथा कानून से खिलवाड़ है।

दरअसल, नगर निगम की टीम बेगमपुल स्थित पंजाब एंड सिंध बैंक के गृह कर के मामले में सील लगा दी। शायद यह भूल गए की उक्त पंजाब एंड सिंध बैंक भारत सरकार का एक उपक्रम है तथा वित्त मंत्रालय के अधीन आता है। सर्वोपरि प्रश्न यह है कि बैंक में जनता का पैसा सुरक्षित रखा जाता है तथा बैंक की भूमिका केवल एक कस्टोडियन की होती है तथा जनता का विश्वास बैंक के ऊपर हुआ। आरबीआई की गाइडलाइन के अनुरूप बैंक की शाखा को इस प्रकार के बकाया गृहकर तथा अन्य किसी प्रकरण में कदापि सील नहीं किया जा सकता। यह कानून के पूर्णता विपरीत है। ये जनता के विश्वास से सीधे खिलवाड़ है। यदि नगर निगम को अपना गृहकर वसूलना था तो बैंक को नोटिस देकर या उसके प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई करके न्यायालय की शरण में जाया जा सकता था। ये कानून सम्मत हो सकता था, लेकिन पद के मद में चूर विवादित नगर आयुक्त कानून से ऊपर जाकर अपनी टीम को भेजकर बैंक को सील करा दिया, जो उनके अधिकार क्षेत्र से सर्वदा परे है। बैंक प्रबंधन द्वारा मामले की शिकायत आला अफसरों के संज्ञान में लाई गई तो नगर आयुक्त चंद मिनटों में बैकफुट पर आ गए तथा बैंक की सील खोल दी गई। यही नहीं, गृह कर बकाया की लंबी किस्त बना दी गई। नगरायुक्त अमित पाल शर्मा की दबंग होने कि छवि धूल धसरित हो गई।

ये है मामला: अक्टूबर के मध्य नगर निगम की टीम ने बेगमपुल के निकट जिस भवन में पंजाब एंड सिंध बैंक के एटीएम को सील कर दिया था। नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार बैंक जिस भवन में स्थित है, उसके स्वामी के रूप में अतुल चन्द गोयल और पदमा गोयल के नाम दर्ज हैं। नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार इस भवन के विभिन्न करों की अदायगी 29 साल से नहीं की गई। बकाया कर की राशि 23 लाख 61 हजार से अधिक हो जाने के बाद नगर निगम की टीम ने वसूली की प्रक्रिया शुरू करते हुए नोटिस जारी किए। इसी क्रम में नगर निगम की टीम ने एटीएम को सील करते हुए एक सप्ताह में करों की अदायगी न होने पर बैंक को भी सील लगा देने की चेतावनी दी थी। हालांकि बैंक अधिकारियों ने उच्चाधिकारियों को अवगत कराते हुए आंचलिक कार्यालय से कर अदायगी के बारे में स्वीकृति मांगी। साथ ही इस संबंध में एक पत्र नगर निगम के अधिकारियों को भी प्रेषित किया, जिसमें आंचलिक कार्यालय से स्वीकृति मिलने तक सीलिंग की कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया। इस पत्र के आधार पर नगर निगम की ओर से बैंक अधिकारियों को भेजे गए जवाब में 30 अक्टूबर तक की मोहलत दी गई थी। बैंक की ओर से कर अदायगी की बात अपने पत्र में स्वीकार करने के बावजूद कोई धनराशि जमा नहीं की गई। जिसके चलते शुक्रवार सुबह नौ बजे बैंक खुलने के टाइम से भी पहले नगर निगम की टीम बैंक पर पहुंच गई थी,

जहां बैंक पर सील लगाते हुए बकाया वसूली के संबंध में नोटिस भी चस्पा कर दिए गए। इसके कुछ देर बाद बैंक स्टाफ के आने का सिलसिला शुरू हुआ, लेकिन सील देखकर सबको बाहर ही खड़े रहने पड़ा। इस बारे में मुख्य प्रबंधक विकास तोमर को अवगत कराया गया, जिन्होंने डीएम और आयुक्त स्तर तक यह मामला पहुंचाते हुए तर्क दिया कि बैंक आवश्यक सेवा के अंतर्गत आते हैं, जिन्हें ऐसे बकायादारी में सील नहीं लगाई जा सकती।

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