लखनऊ। कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक का केस हाथ में लेने के बाद सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा सक्रिय हो गई है। नियुक्ति, निर्माण और टेंडर की जांच पर प्रो. पाठक को घेरने की तैयारी है। इसके लिए केंद्रीय एजेंसी लखनऊ, आगरा, कानपुर और बरेली में भ्रष्टाचार की जड़ें टटोलेगी। इसका जिक्र जांच एजेंसी की एफआईआर में भी किया गया है। लिहाजा केस से जुड़े दस्तावेज जुटाने शुरू कर दिए है।
एसटीएफ ने वैसे तो आगरा विश्वविद्यालय में हुए कार्य में बिल पास करने के एवज में कमीशन मांगे जाने के आरोप की जांच शुरू की थी, लेकिन जब इसको विस्तार दिया तो भ्रष्टाचार के बहुत सारे मामले सामने आये। भ्रष्टाचार की तपिश एकेटीयू तक पहुंची। उसके बाद एसटीएफ प्रो. पाठक के करीबी अजय मिश्र, अजय जैन से होते हुए संतोष सिंह तक पहुंच गई। इनसे पूछताछ के बाद अन्य कई जगहों पर भ्रष्टाचार के मामले परत-दर-परत खुलते गए। एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक नियुक्ति, निर्माण और टेंडर में एक अरब से ज्यादा के गोलमाल जांच में सामने आये।
यहां तक कि, प्रमोशन देने में नियमों को ताक पर रखा गया। परीक्षा के संचालन की जिम्मेदारी देने में भी खेल उजागर हुआ। अजय मिश्र की प्रिन्टिंग प्रेस में नियम विपरीत पर्चे छपवाये गये। बरेली में संतोष सिंह की कंपनी के नाम पर अजय मिश्र द्वारा कोरोना किट की करोड़ो की सप्लाई किए जाना भी सामने आया।
बहरहाल सीबीआई, भ्रष्टाचार के इन सब मामले के दस्तावेज जुटाने शुरू कर दिए है। इसके लिए एसटीएफ और संबधित थाना पुलिस से दस्तावेज मांगे गये हैं। इससे विनय पाठक के अन्य करीबियों में हलचल मची है। सीबीआई, जेल में बंद अजय मिश्र, अजय जैन और संतोष सिंह के अलावा लखनऊ, आगरा, कानपुर और बरेली में प्रो. पाठक के करीबियों अधिकारियों-कर्मचारियों से भी पूछताछ कर सकती है।