नोएडा NOIDA : शहर में करीब 18 साल बाद होटलों की भूखंड योजना आने जा रही है। नोएडा प्राधिकरण की ओर से अगले महीने नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के किनारे अलग-अलग सेक्टरों में करीब 12 भूखंडों योजना आएगी, जिसमें थ्री स्टार, फाइव स्टार और सेवन स्टार होटल SEVEN STAR HOTEL के भूखंड होंगे। नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि योजना के लिए ब्रोशर तैयार करने शुरू कर दिए गए हैं। इसमें आवंटन से संबंधित शर्तों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके लिए दिल्ली-एनसीआर के शहरों की आवंटन पॉलिसी का भी अध्ययन किया जा रहा है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के किनारे बसे सेक्टर-93, 142 समेत अन्य सेक्टरों में यह योजना लाई जाएगी। इन जगह होटलों के लिए 3 से 4 हजार वर्ग मीटर के भूखंड चिह्नित किए गए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि करीब एक दर्जन भूखंडों में से 3-4 फाइव स्टार और सेवन स्टार होटल के लिए होंगे, जबकि बाकी थ्री स्टार होटल के लिए होंगे। इनका आवंटन ई-नीलामी के जरिये किया जाएगा। प्राधिकरण इनको आवंटित करने के लिए व्यावासयिक संपत्ति के रेट लगाएगा। संबंधित सेक्टर का व्यावसायिक रेट इस योजना का आवंटन रेट के रूप में रिजर्व प्राइज होगा। आवेदक को भूखंड लेने के लिए रिजर्व प्राइज से अधिक कीमत की बोली लगानी होगी। गौरतलब है कि बीते कुछ समय पहले ही यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण सेक्टर-28 में भी होटलों की योजना लेकर आ चुका है। इस महीने इनका आवंटन करना भी शुरू कर दिया गया है। प्राधिकरण का प्रयास है कि एक्सप्रेसवे के किनारे के सेक्टरों में यह सुविधा दी जाए। काफी संख्या में लोग नोएडा-ग्रेटर नोएडा EXPRESS WAY एक्सप्रेसवे होते हुए यमुना एक्सप्रेसवे से अलग-अलग स्थानों को जाते हैं। ऐसे में संबंधित सेक्टरों में लाई जाने वाली योजना को बेहतर रेस्पांस मिलेगा। होटलों के बनने से आसपास के लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
18 वर्ष पहले आई योजना में हुई थी गड़बड़ी ; करीब 18 साल पहले जब नोएडा प्राधिकरण होटल के लिए भूखंडों की योजना लेकर आया था, उस समय बड़े स्तर पर गड़बड़ी हुई थी। महत्वपूर्ण यह है कि इस मामले में प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन, सीईओ, एसीईओ स्तर के 16 अधिकारियों के खिलाफ कोतवाली सेक्टर-20 में मामला भी दर्ज हुआ था, लेकिन किसी पर कार्रवाई नहीं हुई।से पहले पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2006 अक्टूबर में तीन, चार व फाइव स्टार 25 होटल के भूखंड के लिए सेक्टर-96, 97, 98, 105 और 124 में योजना निकाली गई थी। कॉमनवेल्थ गेम्स
नियमों को ताक पर रखकर इन होटलों का आवंटन व्यावसायिक के बजाय औद्योगिक विभाग के जरिये किया गया। इनमें से 14 भूखंड को होटल के लिए 7400 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से जमीन 12 जनवरी 2007 को आवंटित की गई। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने जांच करके इस दर को 70 हजार प्रति वर्ग मीटर करने का आदेश दिया। शिकायत मिलने पर प्रदेश सरकार ने इसकी जांच कराई थी। जांच में सामने आया था कि सस्ती दरों पर आवंटन करने से 4721 करोड़ 14 लाख का नुकसान हुआ है। प्राधिकरण संबंधित भूखंडों की जमीन बेचकर ब्याज सहित आवेदकों को पैसा वापस लौटा रहा है।