Noida एयरपोर्ट में मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहॉल केंद्र बनाने की तैयारी

एमआरओ बनाने वाली कंपनियों से आवेदन मांगे

Update: 2024-08-31 10:08 GMT

नोएडा: नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट परिसर में एमआरओ (मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहॉल) हब को विकसित करने की तैयारी शुरू हो गई है. एयरपोर्ट का निर्माण कर रही ज्यूरिख कंपनी ने इसके लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) निकाली है और एमआरओ बनाने वाली कंपनियों से आवेदन मांगे हैं.

यमुना प्राधिकरण के अधिकारी ने बताया कि दो एमआरओ हब बनाए जाएंगे. पहला 40 एकड़ जमीन में बनेगा, जिसका निर्माण ज्यूरिक (एयरपोर्ट बनाने वाली कंपनी) करेगी. यह एयरपोर्ट परिसर में होगा. वहीं, दूसरा एमआरओ एयरपोर्ट के पास 1365 हेक्टेयर में विकसित किया जाएगा. इसके निर्माण की जिम्मेदारी नायल की होगी, जिसके लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर प्रक्रिया शुरू करने पर जोर दिया जा रहा है.

फिलहाल 40 एकड़ में बनने वाले एमआरओ के लिए आरएफपी निकाली गई है, ताकि एयरपोर्ट से उड़ान शुरू होने के बाद विमान की मरम्मत और रिपेयरिंग के कार्य पूरे किए जा सकें. प्रक्रिया पूरी होने के बाद नियम और शर्तों के आधार पर विकासकर्ता कंपनी का चयन होगा, जिसे एमआरओ विकसित करने की जिम्मेदारी मिलेगी.

वर्तमान में भारत की एमआरओ के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता है. देश में 713 एयरक्राफ्ट हैं. वर्ष 2031 तक इनकी संख्या बढ़कर 22 हो जाएगी. इनके लिए मेंटेनेंस लागत कुल राजस्व की से प्रतिशत तक होती है. ऐसे में एयरपोर्ट परिसर और आसपास एमआरओ हब बनने की योजना तैयार हुई है. इसके बनने के बाद अमेरिका, चीन और सिंगापुर पर निर्भरता खत्म हो जाएगी.

एविएशन सेक्टर में सात प्रतिशत बढ़ोतरी होगी: बताया जाता है कि अगले वर्षों में भारत की एविएशन सेक्टर में सात प्रतिशत तक ग्रोथ बढ़ेगी. भारत की जीडीपी में एविएशन की भागीदारी 72 बिलियन यूएस डॉलर तक होगी, जबकि पांच वर्षों के बाद देश में एयर कार्गो का 5.6 बिलियन डॉलर का बिजनेस होगा. नोएडा एयरपोर्ट पर साल 2025 में दूसरा रनवे बनेगा. इससे सालाना 80 मिलियन टन एयर कार्गो के आयात और निर्यात का लक्ष्य रखा है. भारतीय एमआरओ बाजार लगभग 1.7 बिलियन डॉलर है.

आवेदन पर लाभ मिलेगा: एमआरओ के लिए 31 दिसंबर तक आवेदन करने वाली कंपनी को विभिन्न लाभ मिलेंगे. 500 करोड़ के निवेश से कम पर पांच प्रतिशत, एक हजार करोड़ तक आठ प्रतिशत और इससे अधिक पर प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी.

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