मेरठ: महाशिवरात्रि के मौके पर शहर के शिवालयों में आने वाले शिव भक्तों का उनके आराध्य महादेव को जल चढ़ाने और व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है। महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी को मनाया जाएगा। जिसकों लेकर शहर के सभी शिवालय सज कर तैयार हो गए है। बाबा औघड़नाथ मंदिर भी रंग-बिरंगी लाइटों से जगमगा रहा है।
मंदिर समिति के अध्यक्ष सतीश सिंघल ने बताया कि इस वर्ष मंदिर परिसर में करीब ढाई लाख श्रद्धालुओं द्वारा जलाभिषेक किए जाने का अनुमान लगाया जा रहा हैं, जिसको लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। मंदिर के बाहर और अंदर बैरिकेडिंग भी की जा रही है और जलाभिषेक के लिए एक हजार लोटो की व्यवस्था की गई है। महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं को गरुड़ द्वार से प्रवेश मिलेगा और दो अलग-अलग पक्तियों में कतारबद्ध होकर श्रद्धालु जलाभिषेक करेंगे।
महाशिवरात्रि पर बन रहा त्रिग्रही योग और शनि प्रदोष का संयोग
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि उपरांत चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का संयोग बन रहा है। 18 फरवरी यानि शनिवार के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र उपरांत श्रवण नक्षत्र व्यतिपात योग उपरांत वरयान योग गर करण उपरांत शकुनी व नाग करण तथा मकर राशि के चंद्रमा की साक्षी में इस बार शिवरात्रि का महापर्व रहेगा। विशेष यह है कि महाशिवरात्रि सूर्य, शनि, मंगल के केंद्र त्रिकोण योग में मनाई जाएगी।
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी को रात 8 बजकर 2 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 19 फरवरी को 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिषाचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी शनिवार को रात 8 बजकर 2 मिनट से अगले दिन 19 फरवरी को शाम 4 बजकर 18 मिनट तक रहेगी।
काल पूजा का मुहूर्त का विशेष महत्व
शिवरात्रि में निशिथ काल पूजा का मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। महाशिवरात्रि पर पर्व पर शनिदेव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में विराजमान रहेंगे, साथ ही सूर्यदेव शनि की राशि कुंभ में चंद्रमा के साथ विराजित रहेंगे। ग्रहों की यह स्थित त्रिग्रही योग का निर्माण करेंगी। ग्रहों की त्रिग्रही योग में महादेव की आराधना विशेष लाभ प्रदान करेगी। ज्योतिष वैज्ञानिक भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि इस वर्ष महाशिवरात्रि दिन शनिवार 18 फरवरी को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र तथा व्यतिपात में उस समय पड़ रही हैं जब चन्द्रमा पूजित करना प्रबल शुभ ऊर्जाकारक हो सकेगा।
महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा व रुद्राभिषेक लगभग सभी प्रकार के को दूर करने में समर्थ होता है। उन्होंने बताया कि सरलता की दृष्टि से केवल जल, अक्षत, बिल्व पत्र और मुख से बम बम की ध्वनि से महादेव प्रसन्न हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि धन प्राप्ति के लिये गन्ने का रस, पशुधन प्राप्ति के लिये दही, रोग निवारण के लिये कुश युक्त जल, स्थिर लक्ष्मी के लिये घी एवं
शहद,पुत्र प्राप्ति के लिये शर्करा मिश्रित दूध, संतान प्राप्ति के लिये गौ का दूध अर्पित करें। उन्होंने बताया कि दाहिने हाथ की हथेली को सीधा करके मध्यमा अनामिका और अंगूठे की सहायता से इस प्रकार चढ़ाये जिससे फूल और फल का मुख ऊपर की ओर रहे। दूर्वा व तुलसीदल को अपनी ओर करके तथा बेल के तीनों पत्तों को बिना कटे फटे नीचे औंधे मुखी चढ़ाने चाहिये।