Prayagraj: महंत शंकारानंद सरस्वती ने ‘अमृत स्नान’ नाम का समर्थन किया
‘शाही’ स्नान शब्द पर मचा विवाद
प्रयागराज: शाही स्नान को लेकर मचे हंगामे पर पूछे जाने पर महंत शंकारानंद ने कहा कि शाही स्नान शब्द पर अगर कुछ ऐतराज है, तो मैं यह कहता हूं कि जब राजा-महाराजा लोग इसे सम्मान के साथ उपयोग करते थे, तो वह सही था। अब अगर लोगों को ‘शाही स्नान’ शब्द से आपत्ति हो, तो ‘अमृत स्नान’ भी ठीक है। कोई भी शब्द अगर हमारी संस्कृति से जुड़ा हुआ है, तो उसमें कोई बुराई नहीं है। मोहन भागवत के बयान का समर्थन करते हुए महंत शंकारानंद ने कहा कि उनका सम्मान किया जाता है, लेकिन वह इस बात के पक्के हैं कि बयान की पूरी जानकारी और संदर्भ को जानकर ही कोई निर्णय लेना चाहिए।
उन्होंने इस मुद्दे पर किसी भी राजनीतिक पक्षपाती बयानबाजी से दूर रहने की बात की। क्या सनातन धर्म खतरे में है, इस सवाल पर महंत शंकारानंद ने कहा कि सनातन धर्म कभी खतरे में नहीं हो सकता। वह मानते हैं कि जब भी कोई संकट आता है, तब कोई न कोई अवतार आता है। कुंभ मेला क्षेत्र में मुस्लिम दुकानदारों और सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति पर भी महंत शंकारानंद ने अपनी राय रखी। उनका कहना था कि मुस्लिमों से कोई विरोध नहीं है, लेकिन पवित्रता को बनाए रखने के लिए कुछ प्रतिबंध जरूरी हैं।
कुंभ में दुकानें लगाने की बात हो, तो हम यह मानते हैं कि हमें पवित्रता बनाए रखनी चाहिए। यदि किसी के कार्य हमारे धार्मिक विश्वासों से मेल नहीं खाते, तो ऐसे लोगों से हम अपनी पवित्रता को सुरक्षित रखने की कोशिश करते हैं। कुंभ में धर्म संसद के उद्देश्य पर उन्होंने बताया कि यह आयोजन हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना को लेकर विचार-विमर्श करने के लिए है और यह विषय हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह एक धार्मिक आयोजन है और इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। हमारी मांग यह है कि धर्म, संस्कृति और आस्था की रक्षा की जाए। महंत शंकारानंद ने गंगा के पानी को पवित्र बताते हुए कहा कि गंगा का पानी स्वाभाविक रूप से शुद्ध और स्नान योग्य है, लेकिन गंगा के संरक्षण के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने धर्म और राजनीति को अलग रखने की बात की और कुंभ के आयोजन में सभी नेताओं का स्वागत किया।
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा पुजारियों और ग्रंथियों को 18 हजार रुपये मासिक देने की योजना को महंत शंकारानंद ने एक राजनीतिक घोषणा बताया। उन्होंने कहा कि राजनीति में ऐसे लुभावने वादों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। अखिलेश यादव द्वारा संभल हिंसा में पीड़ितों के परिजनों को दिए गए पांच-पांच लाख रुपये की मदद की महंत शंकारानंद ने आलोचना की। उन्होंने इसे राजनीतिक उद्देश्य से किया गया कदम बताया। इस तरह के कदम धर्मनिरपेक्षता की बजाय वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा देते हैं। कुंभ में हिंदू राष्ट्र का प्रस्ताव पास होने के सवाल पर महंत शंकारानंद ने कहा कि यह सरकार के हाथ में है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह केवल एक मांग हो सकती है, जबकि सरकार जब चाहे इसे पास कर सकती है।