Pratapgarh: राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय में चक्कर आकर बेहोश होने वाले मरीज आने लगे

डॉक्टर उन्हें समझा रहे हैं कि यह कोई बीमारी नहीं

Update: 2024-06-14 06:11 GMT

प्रतापगढ़: जब से तापमान 40 डिग्री के ऊपर गया है तब से मेडिकल कॉलेज के Raja Pratap Bahadur Hospital में चक्कर आकर बेहोश होने वाले मरीज आने लगे हैं. डॉक्टर उन्हें समझा रहे हैं कि यह कोई बीमारी नहीं है. बल्कि दिमाग के संदेश (काम करने के आदेश) को अन्य अंगों तक पहुंचाने वाला नमक (सोडियम) पसीने के जरिए शरीर से निकल जाने से संदेश गड़बड़ा जा रहे हैं. इससे चक्कर व बेहोशी आदि स्थितियां बन रही हैं.

राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय की ओपीडी में तैनात वरिष्ठ फिजीशिएन डॉ. रमेश पांडेय के मुताबिक जब से तापमान तेजी से बढ़ा है तब से ऐसे मरीज आ रहे हैं जो बताते हैं कि कुछ देर भी धूप में काम करने पर उनका शरीर बेदम हो जाता है. चक्कर आने लगते हैं, बीपी भी कम हो जाती है. घंटे- घंटे बाद खुद ही ठीक हो जाते हैं. डॉक्टर ने बताया कि जिस तरह इलेक्ट्रानिक उपकरण बिना आपस में जुड़े ही वाईफाई के जरिए संदेशों का आदान प्रदान करते हैं वैसे ही शरीर में मौजूद तंत्रिका तंत्र की नसें आपस में जुड़ी नहीं होतीं बल्कि उनमें गैप होता है. नों गैप के बीच न्यूरो ट्रासंमीटर हार्मोन वाईफाई की तरह नस से संदेश रिसीव कर अगली नस को पहुंचा देता है.

इन नसों में छोर से दूसरे छोर तक संदेश को पहुंचाने का काम Sodium Chloride (नमक) करता है. लेकिन पसीने के जरिए शरीर में मौजूद नमक बाहर निकल जाता है तो संदेश बीच में ही रुक जाता है. ऐसे में जब दिमाग किडनी को संदेश भेजता है कि नमक को शरीर से बाहर निकालने की बजाय भीतर सप्लाई बढ़ाई जाए तो यह संदेश किडनी तक नहीं पहुंच पाता. इससे ब्लड प्रेशर भी कम हो जाता है. यदि समय रहते शरीर में नमक की आपूर्ति न की जाए तो बेहोशी ही नहीं बल्कि कोमा में जाकर मौत तक हो सकती है. इसलिए वे मरीजों को समझा रहे हैं कि यदि धूप में निकलना बहुत ही जरूरी हो तो नमक पानी व चीनी का घोल साथ रखें और जब भी पसीना अधिक निकले उसका सेवन कर लें.

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