नोएडा: लोकसभा चुनाव में पुराने मुद्दों पर ही राजनीतिक दल चुनावी रण में उतरेंगे. किसानों और फ्लैट खरीदारों की समस्या कई वर्षों से चले आ रहे हैं. इनका निस्तारण बीच-बीच में आंशिक रूप से होता है. लिहाजा समस्याएं बनी रहती हैं.
किसानों बढ़ा हुआ मुआवजा, आबादी की जमीन, प्रतिशत प्लॉट आदि से संबंधित कई समस्याएं लगातार बनी हुई हैं. इन समस्याओं को लेकर लगातार प्रदर्शन भी होते रहे हैं. इन समस्याओं के निस्तारण के लिए शासन की ओर से एक कमेटी भी बनाई गई है. इस मुद्दे को सपा-कांग्रेस गठबंधन, बसपा सहित अन्य उम्मीदवार जोर-शोर से उठाएंगे. वहीं किसानों की समस्याओं के निस्तारण के लिए प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी से होने वाले फायदे को भाजपा लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है.
दूसरा सबसे अहम मुद्दा नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री, फ्लैट पर देर से कब्जा, सोसाइटियों में बिल्डरों से होने वाली परेशानी भी लोकसभा चुनाव में अहम मुद्दे होंगे. किसानों से जुड़ी समस्याएं कई दशकों से चुनावों में मुद्दे रहे हैं. वहीं फ्लैट खरीदारों से संबंधित मुद्दे भी डेढ़ दशक से ज्यादा समय से बने हुए हैं. इसके अलावा पिछले लोकसभा चुनाव में भी नोएडा, ग्रेनो वेस्ट और ग्रेटर नोएडा जैसे शहर को जाम मुक्त करने के लिए काम करना सभी राजनीतिक पार्टियों के मुद्दे थे, लेकिन अभी तक इससे पूरी तरह से छुटकारा नहीं मिल पाया है. वायु प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए भी उम्मीदवारों ने दावा किया था, लेकिन इस समस्या से भी आंशिक रूप से ही छुटकारा मिल पाया है. खासकर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जाम के कारण वायु प्रदूषण बढ़ना आम हो गया है.
स्थानीय युवाओं को रोजगार भी बड़ा मसला
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में स्थित कंपनियों में स्थानीय युवाओं को रोजगार दिलाना भी मुद्दा होगा. विधानसभा चुनाव में यह एक अहम मुद्दा था. लिहाजा सभी राजनीतिक दलों इस मुद्दे को लेकर लोकसभा चुनाव में उतरेंगे. नोएडा विधानसभा में उच्च और व्यवसायिक शिक्षा के लिए डिग्री कॉलेज की संख्या बढ़ाने, व्यवसायिक कोर्स के लिए सरकारी कॉलेजों की स्थापना करना भी मुद्दे हैं. शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने का मुद्दा रहेगा.