बरेली न्यूज़: छह साल की मासूम से बलात्कार के आरोपी को पुलिस ने मुकदमे में एफआर लगाकर और धारा 169 सीआरपीसी की कार्रवाई कर क्लीन चिट दे दी. लेकिन, कोर्ट ने जांच के बाद उसे दोषी पाते हुए आजीवन की कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.
साथ ही केस के तत्कालीन विवेचक सीओ लोहामंडी (वर्तमान एसएसपी बरेली)प्रभाकर चौधरी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस महानिदेशक लखनऊ, पुलिस कमिश्नर आगरा और जिलाधिकारी आगरा को निर्देश दिया है.
कोर्ट के मुताबिक घटना पांच मई-2013 की है. पीड़िता की मां कोठियों में काम करने के लिए जाती थी. उस दिन भी कोठियों में काम करने के लिए गई थी. पिता मजदूरी करने गया था. घर पर छोटे-छोटे बच्चे थे. तभी, मकान मालिक दिलीप चौहान का बेटा विपिन चौहान मौका पाकर घर में घुस आया. उसने छह वर्षीय बालिका को हवस का शिकार बना लिया. बच्ची दो से तीन दिन तक सहमी-सहमी रही. उसके गुप्तांग से खून बहता रहा. डर के भय से बच्ची ने किसी को नहीं बताया. मां ने बच्ची को सहमी और डरी देखकर पूछताछ की. बच्ची ने तीसरे दिन उन्हें घटना के बारे में बताया. इस मामले में विवेचक प्रभाकर चौधरी ने महज एक महीने में विवेचना पूरी करके 14 जून-2013 को कोर्ट में उक्त मामले में एफआर लगा दी और 169 सीआरपीसी के तहत प्रार्थना पत्र देकर कोर्ट से अभियुक्त को बचाने का प्रयास किया. उसको निर्दोष साबित कर दिया.
एफआर का विरोध, कोर्ट ने सुना वादिया ने कोर्ट में एफआर का विरोध किया. तब, कोर्ट ने एक मई 2014 को अभियुक्त को तलब कर कोर्ट में हाजिर होने के आदेश दिए. विशेष लोक अभियोजक विमलेश आनंद ने कोर्ट में पीड़िता, उसकी चश्मदीद गबाह बहन, वादिया सहित छह गवाह और सबूत पेश करते हुए दलील दी कि अभियुक्त का कृत्य बहुत ही शर्मनाक है. समाज को कलंकित करने वाला है. कड़ी से कड़ी सजा दी जाए. कोर्ट ने अपने निर्णय में टिप्पणी की है कि अभियुक्त ने छह वर्ष की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म किया है. पीड़िता की सगी बहन घटना की चश्मदीद गवाह है. सबसे आश्चर्यजनक तथ्य है कि पीड़िता के माता-पिता रो-रोकर गुहार करते रहे, लेकिन विवेचक ने फिर भी एफआर लगा दी और 169 सीआरपीसी की कार्रवाई कर अभियुक्त को क्लीनचिट दे दी. विवेचक ने कहा कि अभियुक्त के विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं मिला है.
विवेचक ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया कोर्ट ने टिप्पणी की है कि विवेचक ने अपने कर्तव्यों का उल्लंघन एवं घोर उदासीनता की है. कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए लिखा है कि ऐसी शर्मनाक घटनाओं में मासूम बच्चियों के प्रति माता-पिता के मन में असुरक्षा की भावना पैदा होती है. ऐसी घटनाओं से एक परिवार ही नहीं पूरा समाज प्रभावित होता है. ऐसे कृत्य घोर निंदनीय हैं. समाज के लिए शर्मनाक हैं और किसी प्रकार से क्षमा के योग्य नहीं हैं. उन्होंने विवेचक के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.