बिहार के चंपारण से किशोरियों की तस्करी करते पुलिस ने दबोचा, गिरोह के छह सदस्यों को किया गिरफ्तार पढ़े पूरी खबर

आरोपियों से मुक्त कराई गई किशोरियों ने पुलिस को बताया कि यह गिरोह मोटी रकम देकर किशोरियों की शादी भी कराता है

Update: 2022-02-16 08:08 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिस्ता वेबडेस्क: बिहार के चंपारण से किशोरियों की तस्करी की जा रही है। इस तरह के एक गिरोह का खुलासा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सूचना पर कमिश्नरेट पुलिस ने किया है। आरोपियों से मुक्त कराई गई किशोरियों ने पुलिस को बताया कि यह गिरोह मोटी रकम देकर किशोरियों की शादी भी कराता है। पुलिस जांच कर रही है। वहीं जीआरपी के चारबाग थाने में केस दर्ज कर आरोपियों को जेल भेजा है और गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है।

क्षेत्राधिकारी जीआरपी संजीव सिन्हा के मुताबिक, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर को सोमवार को सूचना दी कि सद्भावना एक्सप्रेस में बिहार केचंपारण से किशोरियों को तस्करी के लिए ले जाया जा रहा है। इसकी सूचना मिलने के बाद पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने डीसीपी पश्चिम सोमेन वर्मा को तत्काल टीम गठित कर रेस्क्यू करने का आदेश दिया। डीसीपी पश्चिम ने नाका इंस्पेक्टर मनोज मिश्रा, कैसरबाग के अजय नारायण सिंह, चौक के कुलदीप दुबे और बाजारखाला इंस्पेक्टर की टीम गठित की। सभी टीमों ने एक साथ चारबाग रेलवे स्टेशन पर छापा मारा। इस दौरान प्लेटफॉर्म नंबर 7 पर सद्भावना एक्सप्रेस रुकी तो टीमों ने बोगियां खंगालनी शुरू कीं।
सीओ जीआरपी संजीव सिन्हा के मुताबिक, छापे के दौरान चाइल्ड लाइन की टीम भी केंद्र समन्वयक कृष्णा शर्मा के नेतृत्व में मौजूद थी। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को बिहार के मुक्ति मिशन फाउंडेशन के निदेशक वीरेंद्र कुमार और बेतिया बिहार केनोडल इंस्पेक्टर मनोज कुमार शर्मा ने सूचना दी थी। जिस पर पुलिस से कार्रवाई करने की मांग की गई। पुलिस टीम ने प्लेटफॉर्म नंबर-7 पर ट्रेन के पहुंचने के बाद चार बोगियों एस-2, एस-4, एस-6 और एस-7 को घेर लिया। चारों बोगियों की तलाशी में तीन किशोरियां मिलीं। इसके अलावा उनके साथ हरदोई के टड़ियावां निवासी जान मोहम्मद, लिलवल का मोहम्मद हासिम, बजरिया का लतीफ, शकील, शाहिद अली, उन्नाव बांगरमऊ का अरमान मिला। सभी को ट्रेन से नीचे उतारा गया। पूछताछ में पता चला कि तीनों को तस्करी कर लाया जा रहा था। दो किशोरियां मोतिहारी बिहार की और एक हरदोई की थी।
शादी कराकर लाते थे, फिर बेच देते थे
पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने कुबूल किया कि वे चंपारण जिले से शादी कराकर किशोरियों को लाते हैं। उनके परिवारीजनों को मोटी रकम का प्रलोभन देते हैं। इसके बाद अपने साथ लाने के बाद ऊंची कीमत पर बेच देते हैं। आरोपियों जान मोहम्मद व हासिम ने पुलिस के सामने कुबूल किया कि शाहिद अली, अरमान के मामा लतीफ, अरमान व शकील को इस योजना में शामिल किया। सभी को चंपारण लेकर गए। वहां दो किशोरियों से दिखावे के लिए अरमान व शकील से शादी कराई। इसके बाद दोनों किशोरियों के परिवारीजनों को रुपये का लालच दिया और साथ लेकर वहा से चले आए।
बराती बन करते हैं तस्करी
पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने तस्करी करने का अनूठा तरीका अख्तियार किया है। ताकि किसी को भी संदेह न हो। मानव तस्करी गिरोह के सदस्य बरात की शक्ल में बिहार के चिह्नित जिलों में जाते हैं। वहां उनके सक्रिय सदस्यों द्वारा पहले से ही किशोरियों के परिवारीजनों से बातचीत कर रखी जाती है। पहुंचने के बाद वहां बतौर बराती ग्रामीणों के सामने मौजूद रहते हैं। परिवारीजनों को रुपये देने की बात पहले से तय रहती है। कुछ रुपये वहीं दे दिए जाते हैं। फिर बाकी की रकम किशोरियों को बेचने के बाद रकम उनके खातों में या अपने एजेंट के जरिए भेज दी जाती है। वापसी भी बरात की शक्ल में ही करते है। इसके लिए संयुक्त रूप से रेलवे के शयनयान में बर्थ बुक कराते हैं। किशोरी को भी शादी के जोड़े में ही लाते हैं ताकि रास्ते में किसी को शक न हो। चाइल्ड लाइन की निदेशक डॉ. संगीता शर्मा के मुताबिक, इस तरह के गिरोह बिहार में सक्रिय हैं। गिरोह के सदस्यों के जरिए उन तक पहुंचने के लिए पुलिस की मदद ली जा रही है। वहीं पीड़िताओं से बातचीत कर उनके गांव व आसपास के लोगों के बारे में भी जानकारी हासिल की जा रही है।
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