इलाहाबाद: शहर के नालों का जहरीला पानी गंगा-यमुना में सीधे गिराया जा रहा है. नगर निगम ने गंगा-यमुना में गिरने वाले 60 नालों के पानी का बायोरेमेडियल ट्रीटमेंट बंद कर दिया है. इससे गंगा-यमुना में गिरने वाले नालों के पानी का प्रदूषण दोगुना से अधिक हो गया है.
बारिश का मौसम शुरू होते ही नगर निगम ने गंगा-यमुना में गिरने वाले नालों के पानी का बायोरेमेडियल ट्रीटमेंट बंद कर दिया. पिछले साल भी बारिश के समय ट्रीटमेंट बंद करने का मामला न्यायालय पहुंच गया था. न्यायालय ने गंगा-यमुना में गिरने वाले नालों का पानी शोधित करने का निर्देश दिया था. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों के साथ गंगा-यमुना में सीधे गिरने वाले नालों के पानी की लगातार जांच कर रहा है.
28 अगस्त को हुई जांच में नालों के पानी का बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) 56 मिलीग्राम प्रति लीटर मिला है. अप्रैल में जब शोधन हो रहा था, उस समय नालों के पानी का बीओडी 30 मिलीग्राम प्रति लीटर तक था. ट्रीटमेंट के बाद नालों का कोलीफॉर्म एक हजार से डेढ़ हजार तक सीमित था. शोधन बंद होने के बाद नालों का कोलीफॉर्म 20 हजार से अधिक पहुंच गया है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नालों में बढ़े प्रदूषण पर नगर निगम को रिपोर्ट दी है. फिलहाल इस मसले पर नगर निगम के अधिकारी कुछ नहीं बोल रहे हैं.
नालों के पानी का बायोरेमेडियल ट्रीटमेंट बंद होने से प्रदूषण बढ़ना स्वभाविक है. बारिश में अक्सर ऐसा हो रहा है. नगर निगम से बात करेंगे.
-आरके सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण
नियंक्षण बोर्ड प्रयागराज-सोनभद्र
बारिश हो या सामान्य मौसम, नालों के पानी का शोधन बंद नहीं कर सकते. न्यायालय ने भी शोधन बंद करने का आदेश नहीं दिया है. बारिश के समय पानी की मात्रा बढ़ती है तो एसटीपी बंद नहीं होते. इसी प्रकार नालों के पानी का भी शोधन होना चाहिए.
-अरुण गुप्ता, एमिकस क्यूरी