लखनऊ न्यूज़: राज्य सरकार शहरों में छोटी कालोनियों में रहने वालों को भी पार्क और हरित क्षेत्र की सुविधा देने जा रही है. आवास विभाग 3000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बसने वाली कालोनियों में इसकी अनिवार्यता करने जा रहा है. इसके लिए भवन विकास उपविधि को संशोधित करते हुए इसकी व्यवस्था की जा रही है.
आवास विभाग भवन निर्माण एवं विकास उपविधि को संशोधित करते हुए नए सिरे से मानक तय करने जा रहा है. अभी तक 3000 वर्ग मीटर वाले क्षेत्रफल में बसने वाली सरकारी और निजी कालोनियों में इसकी अनिवार्यता नहीं थी. इसीलिए जिन क्षेत्रों में जोनल डवपलमेंट प्लान लागू है वहां पर कुल क्षेत्रफल का पांच फीसदी और जहां लागू नहीं है वहां पर 10 फीसदी इसके लिए स्थान छोड़ना अनिवार्य होगा.
आवासीय क्षेत्र के लेआउट प्लान का जोनल डवपलमेंट प्लान हिस्सा होना चाहिए. इसके अंतर्गत पार्क एवं हरित क्षेत्रफल का मानक बनाए रखना जरूरी होगा. इसके आधार पर छोटी कालोनियों में इसकी व्यवस्था कराई जाएगी. कैबिनेट से मंजूरी के बाद विकास प्राधिकरण इसके आधार पर ही लेआउट और नक्शा पास करेंगे. लेआउट पास करते समय मौके पर जाकर इसका सत्यापन भी कराया जाएगा, जिससे वास्तविक स्थिति का पता चला सके. इसके साथ ही नई कालोनियों में हाईटेशन लाइन, टेलीफोन, बिजली के खंभे अंडर ग्राउंड पाइन लाइन डाले जाएंगे, जिससे यह सुरक्षित रहे और कालोनियां देखने में साफ-सुथरी लगे.
इसके साथ ही जलाशय, तालाब, वाटर बॉडीज आदि स्थल कालोनी के अंदर आने पर उसे संरक्षित किया जाएगा. इसके चारों तरफ घेराबंदी कराते हुए इसके आसपास सौंदर्यीकरण कराया जाएगा. कालोनी के मुख्य द्वार पर एक साइन बोर्ड लगाते हुए इसके बारे में जानकारी भी दी जाएगी. अमूमन बिल्डर तालाब, जलाशय और वाटर बॉडीज को पाट कर इसका इस्तेमाल अपनी सुविधा के अनुसार कर लेते हैं. इसीलिए इसका सौंदर्यीकरण अनिवार्य करने जा रहा है.