प्रतापगढ़ न्यूज़: सियासत में मंजिल तक पहुंचने वाले को ही सलाम किया जाता है. निकाय चुनाव के लड़ाके इसी फार्मूले को ध्यान में रखकर सियासी समर की किलेबंदी में जुटे हैं. खुद के मेल-मिलाप और करीबियों के सहारे वोटरों को साधने में जुटे प्रत्याशियों की फौज वोटरों के बीच खुद की पैठ मजबूत करने को अब स्टार प्रचारकों के सहारे माहौल बनाने की तैयारी में जुटी है. राजनीतिक दल के प्रत्याशियों के अलावा निर्दल भी इस राह में जोर आजमाइश करने की तैयारी में हैं. कोशिश यही कि निकाय चुनाव में कामयाबी हर हाल में हासिल की जा सके.
जिले की 18 नगर पंचायत और एक नगर पालिका सीट के अध्यक्ष और सभासद के पदों के लिए सियासी जंग का आगाज हो चुका है. वोटरों के और करीब पहुंचने के लिए अब स्टार प्रचारकों की सूची भी तैयार कराई जा रही है. भाजपा इस राह में औरों से आगे दिख रही है. चर्चाओं पर जाएं तो बतौर स्टार प्रचारक मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, जिले के प्रभारी मंत्री नितिन अग्रवाल, पूर्वप्रदेश अध्यक्ष बीजेपी डॉ.लक्ष्मीकांत बाजपेयी के साथ संगठन के बड़े नेता आ सकते हैं. कांग्रेस से राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी, रामपुरखास विधायक आराधना मिश्र मोना तथा शायर व राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के चुनाव प्रचार में आने की चर्चा है. सपा प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पूर्व काबीना मंत्री शिवपाल यादव के आने की चर्चा है. निकाय चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी से सांसद संजय सिंह सहित कई नेता आने की संभावना जताई जा रही है. वहीं , बसपा स्टार प्रचारकों को लेकर अब तक कोई चर्चा नहीं सुनीं जा रही है. निर्दल भी इस राह में पीछे नहीं है. स्थानीय कलाकारों के जरिए कई निर्दल प्रत्याशी वोटरों के बीच जाने की तैयारी में है.
जिले के नामचीन कलाकारों की बढ़ी मांग
चुनाव प्रचार को आकर्षक बनाने के लिए जिले के नामचीन कलाकारों की मांग बढ़ गई है. राजनीतिक दल के प्रत्याशी बड़े नेताओं की रैली में ऐसे कलाकारों को मंच की रौनक बढ़ाने के लिए बुला रहे हैं. एक साथ चुनाव होने के चलते सीमित कलाकार होने से समस्या बढ़ी है. कलाकारों की टीम भी प्रत्याशियों की गरज को देख मनमाना रेट लेकर बुकिंग कर रहे हैं.
स्थानीय धुरंधरों के साथ निकलने की जुगत
प्रत्याशी व उनके समर्थक चुनाव-प्रचार के दौरान इलाके के प्रभावशाली लोगों को अपने साथ लेकर चलने की कोशिश में हैं. इसके जरिए संबंधित इलाके में प्रभावशाली की पहचान से मतदाताओं को अपने पाले में करने की कोशिश की जा रही है. हालांकि चुनाव को देखते हुए इलाकाई धुरंधर अपने पत्ते खोलने से बच रहे हैं.