इसके जरिए संविधान (जनजाति)(उत्तरप्रदेश) आदेश 1967 और संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश 1950 में बदलाव किया जाएगा। इस विधेयक पर कल तीन घंटे तक चर्चा हुयी थी और केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने आज इस पर राज्यसभा में जबाव दिया। इसके बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
श्री मुंडा ने कहा कि इस विधेयक पर चर्चा में 26 सदस्यों ने अपने विचार और सुझाव रखे थे। उन्होंने कांग्रेस पर जनजातियों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुये कहा कि यदि यह पार्टी सच्चे अर्थाें में आदिवासी समर्थक होती तो राष्ट्रपति चुनाव में वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के विरूद्ध अपना प्रत्याशी नहीं उतारती। श्रीमती मुर्मू देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनी है और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी धन्यवाद के पात्र है जिन्होंने आदिवासियों के हितों की न:न सिर्फ चिंता की है बल्कि देश के सर्वोच्च पद पर इस समुदाय के व्यक्ति को लाये हैं। इसमें भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जे पी नड्डा की भी महत्ती भूमिका रही है।
उन्होंने कहा कि श्री मोदी की अगुवाई वाली सरकार पूरे देश के आदिवासियों के हितों की बात ही नहीं करती बल्कि उसके कल्याण के साथ ही सामाजिक आर्थिक विकास को भी महत्व दे रही है। इसके लिए बजटीय प्रावधान भी किये जाते रहे हैं और आश्वयकता अनुरूप धनराशि भी उपलब्ध करायी जा रही है।
उन्होंने कहा कि आदिवासियों को वामपंथियों ने गुमराह कर हथियार उठाने के लिए उकसाया और उसे लोकतंत्र विरोधी साबित करने की कोशिश की गयी जबकि जनजाति लोकतंत्र हितैषी और लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले हैं। उत्तर प्रदेश में गौंड समुदाय को जनजाति में शामिल करने वाले विधेयक पर संसद की मुहर
श्री मुंडा के जबाव के बाद सदन ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। कल चर्चा में भी सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन करने की बात कही थी।