मेरठ। पदम विभूषित पर्यावरणविद डाॅ. अनिल प्रकाश जोशी द माउंटेन मैन का मेरठ में स्वागत किया गया। पर्यावरण से प्रकृति पथ यात्रा संयोजन समिति एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग चौधरी चरण सिंह विवि द्वारा बृहस्पति भवन में कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें प्रगति से प्रकृति पथ के तहत मुंबई गेट वे ऑफ इंडिया से साइकिल यात्रा कर रहे पद्म भूषण डा. अनिल प्रकाश जोशी द माउंटेन मैन मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि परिवर्तन वहीं ला सकते हैं जिन्होंने संघर्ष झेला हो।
डॉ. अनिल जोशी का मेरठ परतापुर बाईपास स्थित में स्वागत किया गया उसके बाद सीसीएसयू के बृहस्पति भवन में जागरूक नागरिक एसोसिएशन व पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वह शामिल होने पहुंचे।
डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि इंदौर एक स्वच्छ शहर में जगह बनाए है। जब इंदौर पहुंचा तो वो खरा उतरा। वहां के लोगों में जागरूकता है। उसके बाद मेरठ का नाम लिया। 1857 के बाद से यहां को धरती की आवाज कुछ दब सी गई है। पानी की समस्या है यहां का पानी खतरे पर जा चुका है। हम बंटे जरूर हों लेकिन हम एकजुट भी हो सकते हैं।
शहीद मंगलपांडे ने मेरठ में ध्वजारोहण किया। ये यात्रा मेरी नहीं, सभी को यात्रा है, पर्यावरण को बचाने की यात्रा है। सौ वर्ष में से पिछले 10 वर्षों के आंकड़े निकाल लीजिए। प्रकृति की आपदाएं कितनी आईं। पृथ्वी में हमारी वापिसी तय है, लेकिन हम इसका ध्यान नहीं रख रहे हैं। आपका जीवन प्रकृति के नियंत्रण में है, आप इस प्रकृति का कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं।
उन्होंने कहा कि विभिनताओं के बीच इसने इंसान को जन्म दे दिया और इंसान को बुद्धि दे दी। प्रकृति ने इंसान से समानता की अपेक्षा की थी। बाघो की संख्या ज्यादा होगी और हिरन की संख्या कम होगी तो बाघ आपके बीच में होगा और ऐसा हो रहा है। सब मनुष्य एक हैं और बंट गए। देश अलग हो गए, धर्म जाति में बंट गए। लेकिन प्रकृति से जीत नहीं पाए, कोविड ने ये बड़े बड़े देशों को दिखा दिया। प्रकृति की ताकत को समझने की जरूरत है, इसे बचाने के लिए इसको गंभीर रूप से लेना होगा। प्रकृति और पृथ्वी का कुछ बिगाड़ नहीं सकते।
कहा कि प्रकृति को समझने के अलावा इंसान के पास कोई विकल्प नहीं बचा है। आपकी जान और जहान अब आपके हाथों में है। कलयुग के इस दौर में हम अपने से बाहर ही नहीं निकल रहे हैं। अपनी पीढ़ियों की चिंता नहीं है, दुर्व्यवहार से प्रकृति का नुकसान हो रहा है। लेकिन प्रकृति का कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। नवंबर में पंखे चल रहे हैं और हम समझ नहीं रहे हैं।
अरबों की संख्या में जीवाणु आपके चारों ओर घूम रहे हैं। एक सांस में कितने जीवाणु अंदर जाते हैं, प्रकृति से छेड़छाड़ की तो कुछ भी संभव है। 50 प्रतिशत मौके हैं हम वापिसी कर सकते हैं। जिसके लिए प्रकृति के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। जान और जहान बचाने की यात्रा में सभी सहयोग करें और प्रकृति को बचाने की मुहिम का हिस्सा बने।
बता दें कि मुंबई से शुरू हुई डॉ अनिल जोशी की साइकिल यात्रा देहरादून में संपन्न होगी। साइकिल यात्रा 7 राज्यों में होते हुए 60 से ज्यादा शहर, एक हजार गांवों से होकर गुजरेगी। जिसमें 50 हजार से ज्यादा लोगों से संपर्क का लक्ष्य है। मेरठ में भव्य स्वागत व कार्यक्रमों के बाद देहरादून के लिए साइकिल यात्रा रवाना होगी।