आर्थो के मरीजों को मिलेगी राहत, अब नई तकनीक से होगा एमआरआई

अब कूल्हे की हड्डी या फिर पैर के किसी भी हिस्से का फ्रैक्चर जुड़ने के बाद मरीज को प्लेट निकलवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी

Update: 2022-03-14 08:03 GMT

अब कूल्हे की हड्डी या फिर पैर के किसी भी हिस्से का फ्रैक्चर जुड़ने के बाद मरीज को प्लेट निकलवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। खास तरह की टाइटेनियम प्लेट जिदंगी भर मरीज के शरीर में पड़ी रह सकती है। इससे एमआरआई जांच में भी कोई दिक्कत नहीं आएगी। नई तकनीक से आर्थो के मरीजों को राहत मिलेगी।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रो. डॉ. अमित मिश्रा ने बताया कि अब ऐसी टाइटेनियम प्लेट आ गई है, जिसमें मेटल रिएक्शन नहीं होगा। यह प्लेट मरीज की हड्डी में जीवन भर लगी रह सकती है। इसमें मरीज को कोई दिक्कत नहीं होगी। मरीज एमआरआई भी करा सकेंगे। जबकि, स्टेनलेस स्टील प्लेट लगाने के बाद मरीज एमआरआई नहीं करा सकता है। एमआरआई कराने के लिए मरीज को प्लेट निकलवानी पड़ती है। इसके लिए मरीज को दूसरी बार ऑपरेशन कराना पड़ता है।
उन्होंने बताया कि कूल्हे की चोट को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। पहले कूल्हे में चोट से वह हिस्सा खराब हो जाता था, जहां पर स्टेनलेस स्टील की प्लेट लगती थी। स्थिति कूल्हा प्रत्यारोपण तक आ जाती थी। अब थ्री डी प्रिंटिंग समेत नई तकनीक से हर तरह के फ्रैक्चर का ऑपरेशन संभव हो गया है। इससे प्रत्यारोपण के लिए बड़ा ऑपरेशन करने की कम जरूरत पड़ रही है। नए इप्लांट अब अधिक समय तक चलते हैं।
लिंगामेंट और कंधे की सर्जरी में भी होता है इस्तेमाल
प्रो. डॉ. अमित मिश्रा ने बताया कि लिंगामेंट और कंधे की सर्जरी में अब ऐसे स्क्रू आ गए हैं, जो शरीर में गल जाते हैं। इसे बॉयो अर्ब्जलेबल स्क्रू कहते हैं। यह स्क्रू शरीर में लगने के बाद धीरे-धीरे गल जाते हैं। इसके गलने से शरीर में कोई नुकसान भी नहीं होता। यह ज्यादा सुरक्षित भी है। इसके अलावा हड्डी के फ्रैक्चर होने पर भी इस स्क्रू का इस्तेमाल किया जाता है। इस नई तकनीक से ऑपरेशन आसान हो गया है


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