मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन

Update: 2023-09-08 17:34 GMT
वाराणसी। शुक्रवार 08 सितंबर को अन्तर-सांस्कृतिक अध्ययन केन्द्र एवं मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पोलैंड के यग्येलोनियन विश्वविद्यालय, क्राको के प्राच्य अध्ययन संस्थान के प्रो. प्योत्र बोरेक थे।
‘सत्रहवीं शताब्दी के ब्रजभाषा रीतिकाव्य में व्यंग्य का राजनीतिक उपयोग’ विषयक अपने व्याख्यान में प्रो. प्योत्र बोरेक ने कहा कि राजनीतिक गठबंधनों का तोल- मोल और शत्रु का विनाश, उपहास और व्यंग्योक्ति के माध्यम से कवि भूषण ने अपनी कृति ‘शिवराज भूषण’ में व्यक्त किया है। उन्होने कहा कि साहित्यिक आश्रय देने के प्रति राजाओं की एक दृष्टि यह थी कि कविता के माध्यम से अपनी नीति का भी प्रसार किया जाय। साथ ही राजा कवि और कविता के माध्यम से अपनी लोकप्रियता को भी बढ़ावा देते थे। कवि भूषण की ‘शिवराज भूषण’ वीर रस कविता का एक दुर्लभ नमूना है। इस काव्य में शिवाजी की वंशावली, राजधानी का वर्णन, उनका क्रोध, औरंगजेब के प्रति उनकी बहादुर प्रतिक्रिया, अर्जुन से तुलना इत्यादि का वर्णन लगभग 400 छन्दों में है।
शिवाजी द्वारा ब्रजभाषा में कवित्त के लिए राज्य प्रश्रय देने के पीछे एक दूरदृष्टि थी जो मराठा साम्राज्य के विस्तार और भविष्यगामी प्रसार के लिए उपयोगी थी। भारतीय परंपरा में व्यंग्य का प्रयोग धार्मिक पाखंड, अहंकार तथा रूढ़िवादिता को समाप्त करने और धार्मिक समुदायों के प्रतिस्पर्धी उद्देश्य को पूरा करने के लिए होता था। कार्यक्रम के प्रारम्भ में मुख्य अतिथि एवं श्रोताओं का स्वागत करते हुए मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र के समन्वयक प्रो. संजय कुमार ने कहा कि रीतिकालीन काव्य का अध्ययन जहां हिन्दी में कम हो रहा है, वहीं विदेशी विद्वानों की रुचि इसमें बनी हुई है जो अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। प्रो. प्योत्र बोरेक का मराठी साम्राज्य के संदर्भ में ब्रज भाषा काव्य का अध्ययन निश्चित ही हम सभी के लिए आकर्षण और रुचि का क्षेत्र है।
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