डिस्ट्रिक्ट व हाई कोर्ट से मिलेगी ऑनलाइन जानकारी, यह दिए तर्क

Update: 2023-03-23 07:57 GMT

आगरा न्यूज़: यदि उच्च न्यायालय या उसके अधीनस्थ किसी भी जनपद न्यायालय से सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के अन्तर्गत सूचना प्राप्त करनी है तो ऑनलाइन आरटीआई पोर्टल पर आवेदन कर सकेंगे. शुल्क भी ऑनलाइन जमा हो जाएगा. यदि जन सूचना अधिकारी सूचना नहीं देता है या अधूरी या गलत सूचना देता है तो उसके विरुद्ध ऑनलाइन अपील करने की सुविधा होगी. यह आदेश आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता व आरटीआई एक्टिविस्ट केसी जैन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2020 में प्रस्तुत जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड़, पीएस नरसिम्हा व जेबी पारदीवाला की पीठ द्वारा दिया गया.

वर्ष 2013 में केन्द्र सरकार द्वारा अपने अधिकांश मंत्रालयों और विभागों के लिए ऑनलाइन आरटीआई पोर्टल बनाया गया था और वर्तमान में 2500 से अधिक विभाग व लोक प्राधिकारी उस पोर्टल पर हैं किन्तु देश के अधिकतर उच्च न्यायालयों द्वारा ऑनलाइन आरटीआई पोर्टल नहीं बनाया गया और न ही उनके अधिनस्थ आने वाले जनपद न्यायालयों का कोई आरटीआई पोर्टल बना जिसको लेकर सूचना प्राप्त करने वाले आवेदकों को असुविधा का सामना करना पड़ता था. इस कठिनाई को दूर करने के लिए अधिवक्ता जैन द्वारा जनहित रिट याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगायी गयी.

अधिवक्ता जैन ने अपनी बात रखते हुए कहा कि किसी भी हाई कोर्ट ने अपने जनपद न्यायालयों के लिए ऑनलाइन आरटीआई पोर्टल की व्यवस्था नहीं की है. दिल्ली व मध्य प्रदेश उच्च न्यायालयों ने अपने लिए आरटीआई पोर्टल बना लिया है. मुख्य न्यायाधीश चन्द्रचूड़ द्वारा विभिन्न उच्च न्यायालयों के अधिवक्ताओं से प्रश्न किया गया कि उच्च न्यायालय आरटीआई पोर्टल क्यूं नहीं बना सकते हैं जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपना आरटीआई पोर्टल बना लिया गया है.

तीन महीने का समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा रजिस्ट्रार जनरल अपने उच्च न्यायालयों की और उनके अधीन आने वाले जनपद न्यायालयों के लिए आरटीआई पोर्टल की तीन माह के अन्दर स्थापना करेंगे और उसको कार्यशील बनाऐंगे. इसी के जरिये आरटीआई प्रार्थना पत्र व अपील लग सकेंगी. हाई कोर्ट अपने आरटीआई नियम बना सकते हैं. वहीं अधिवक्ता जैन द्वारा प्रस्तुत अधूरी वेबसाइट के मामले में प्रतिउत्तर देने के लिए तीन सप्ताह का समय केंद्र को दिया.

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