गाजियाबाद न्यूज़: रक्षा विज्ञान कर्मचारी सहकारी आवास समिति के तीन प्रोजेक्ट में फंसे करीब 1600 खरीदारों को फ्लैट मिलने की उम्मीद जगी है. रेरा ने बिल्डर को ढाई साल के भीतर प्रोजेक्ट पूरा कर खरीदारों को फ्लैट पर कब्जा देने का आदेश दिया है. साथ ही जीडीए में नौ करोड़ रुपये का भुगतान करने को भी कहा है. इस प्रोजेक्ट की निगरानी रेरा टीम करेगी.
एनएच नौ पर हिंडन नदी के पास रक्षा विज्ञान कर्मचारी सहकारी आवास समिति ने आवास विकास परिषद से 12.50 एकड़ जमीन खरीदी. समिति ने 2008 में प्रोजेक्ट लांच किया. वर्ष 2011 में समिति ने प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए अंतरिक्ष रीयलटेक प्राइवेट लिमिटेड से समझौता किया. इसमें तय हुआ कि बिल्डर प्रोजेक्ट का निर्माण करेगा और 60 फीसदी फ्लैट बेचेगा. जबकि समिति के सदस्यों को 40 फीसदी फ्लैट मिलेंगे. समिति के करीब 700 सदस्य हैं. बिल्डर ने जीडीए से नक्शा स्वीकृत कराया और प्रोजेक्ट शुरू कर दिया. साथ ही फ्लैट का आवंटन 2015 में देना तय हुआ. बिल्डर ने जीडीए से 26 करोड़ रुपये में एफएआर खरीदा. तीन करोड़ रुपये भी जमा कराए. एफएआर के रेट को लेकर बिल्डर और जीडीए में विवाद हुआ. बिल्डर का तर्क था कि प्रोजेक्ट दादरी इलाके में आता है, ऐसे में रेट वहां के हिसाब से तय हो. विवाद नहीं सुलझने पर बिल्डर कोर्ट चला गया. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करने के लिए 15 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया. वहीं, फ्लैट नहीं मिलने से नाराज आवंटी एसोसिएशन 2017 में रेरा चली गई. अब यूपी रेरा के सेक्रेटरी इन चार्ज समीर रंजन सिंह ने आदेश जारी किया है कि बिल्डर जीडीए में नौ करोड़ रुपये जमा कराते हुए प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य शुरू करे.
रेरा ने अंतरिक्ष प्रोजेक्ट का निर्माण ढाई साल में पूरा करने का आदेश दिया है. साथ ही नौ करोड़ रुपये का भुगतान प्राधिकरण को करना होगा. रेरा के आदेश से प्रोजेक्ट के सभी खरीदारों को फ्लैट मिलने की उम्मीद जगी है. -बिपिन सिंह, अध्यक्ष, रक्षा विज्ञान कर्मचारी सहकारी आवास समिति