बरेली। बुधवार को गोलियों की तड़तड़ाहट से कटरी दहल गया था। दो गुटों में हुई फायरिंग में तीन मौतों से क्षेत्र में दहशत है। दूसरे दिन भी वहां भारी सख्या में पुलिस बल तैनात है। इस कहानी के पीछे एक बड़ी बात निकल कर आ रही है कि किसी समय में सुरेश पाल सिंह तोमर और डॉक्टर परमवीर सिंह में काफी अच्छी दोस्ती थी। पंजाब के रहने वाले डॉक्टर परमवीर सिंह को सुरेश प्रधान ने ही अपनी जमीन देकर कटरी में बसाया था।
उसके बाद उसने कटरी में उसे और जमीन भी दिलाई थी। जिस जमीन को सुरेश खराब समझ रहा था। वह जमीन धीरे-धीरे उपजाऊ होती चली गई। इधर डॉक्टर परमवीर की जमीन भी कटरी में बढ़ती जा रही थी। यहीं से दोस्ती दुश्मनी में बदल गई और दोनों में अदावत शुरू हो गई। जमीन का विवाद दोनों के बीच आए दिन गहराता चला गया जो बाद में खूनी संघर्ष में बदल गया।
दोस्ती दुश्मनी में बदलने के बाद सुरेश प्रधान अब डॉक्टर परमवीर सिंह का दुश्मन बन गया था। जिसको लेकर सुरेश इस खूनी पटकथा को पहले ही लिख दिया था। परमवीर को भी इसकी भनक लग गई थी। यही वजह रही परमवीर लगातार पुलिस से हमला होने की जताकर कार्रवाई की मांग कर रहा था।
उसका सबसे अच्छा दोस्त उसका जानी दुश्मन बन गया था। बीते सोमवार को परमवीर सिंह ने आईजी और एसएसपी ऑफिस पहुंचकर जान का खतरा बताकर खुद पर हमला होने की आशंका जताई थी। इसके साथ ही उन्होंने जमीन पर कब्जा होने की भी बात कही थी। अधिकारियों ने परमवीर की गुहार सुन ली होती तो शायद तीन लोगों को अपनी जान की कीमत नहीं चुकानी पड़ती।
रुपये लेने गया मिली मौत
गोविंदपुर में हुई गैगवार में सुरेश प्रधान और डॉक्टर परमवीर सिंह गुट की तरफ से तीन लोगों की मौत हो गई। उसके बाद इलाके में सन्नाटा है। मौत के तांडव के बाद कटरी में दहशत का माहौल है। ग्रामीण आज खेतों में काम करने नहीं गए। दूर-दूर तक सन्नाटा पसरा रहा। पुलिस के अलावा कटरी में दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था।
सुरेश प्रधान अपने साथियों के साथ फरार हैं। वहीं पुलिस ने घटना के बाद से तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। देर शाम तक केवल सुरेश गैंग के मारे गए युवक के परिजन उसका शव लेने पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। इस दौरान मृतक गुल मोहम्मद (28) पुत्र आशफ के बड़े भाई अजमेरी ने बताया कि वह लोग जिला बदायूं के उझांनी कछला पंखियाननगला में रहते हैं।
उसका भाई स्टीमर चलाने के साथ ही गोताखोरी करता था। उसने अब से एक साल पहले सुरेश प्रधान के यहां स्टीमर चलाने की मजदूरी की थी। सुरेश प्रधान ने मजदूरी के दस हजार रुपये नहीं दिए थे। बुधवार की सुबह सुरेश प्रधान का बेटा अजीत उसके भाई गुल मोहम्मद को बुलाने आया कि उसके पिता ने मजदूरी के रुपये देने के लिए उसे बुलाया है। उसका भाई के पास उस समय रुपये नहीं थे। वह उससे दो सौ रुपये लेकर चला गया।
बीती रात उसके पास पुलिस का फोन आया कि तुम्हारा भाई इस दुनिया में नहीं रहा। जब उसके पास पुलिस वाले तस्वीर लेकर आए तो परिवार के होश उड़ गए उसका भाई गैंगवार में मारा गया। परिवार वाले इंतजार गुल मोहम्मद का इंतजार कर रहे थे कि वह अपने रुपये लेकर आ रहा होगा। लेकिन उसकी मौत की खबर ने सब को झकझोर कर रख दिया था। मृतक अपने गुल मोहम्मद अपने पीछे दो बेटे तीन बेटियों व पत्नी फूलजंहा को छोड़ गया है।
भाई को समझाया था कि सुरेश प्रधान के चक्कर में न पड़े
गुल मोहम्मद व उसका बड़ा भाई अजमेरी दोनों गोताखोरी व स्टीमर चलाने का काम करते हैं ।एक साल पहले गुल मोहम्मद को सुरेश प्रधान ने अपने पास स्टीमर चलाने के लिए मजदूरी पर रखा था। उसके बाद उसने सुरेश प्रधान के यहां से काम छोड़ दिया और उसकी मजदूरी के दस हजार रुपये भी रह गए थे। इस बीच एक दो बार वह सुरेश प्रधान के पास रुपये लेने गया था। उस दौरान अजमेरी ने उसे समझाया था कि सुरेश प्रधान सही आदमी नहीं है। वह उसके चक्कर लगाना छोड़ दे। अगर वह अपने बड़े भाई की बात मान लेता और उन दस हजार रुपयों को भूल जाता तो शायद उसकी जान नहीं जाती।
शाम तक खंगालती रही स्टीमर नहीं लगा सुराग
हमेशा से पुलिस के लिए कटरी परेशानी का सबब रहा है। कटरी का क्षेत्रफल की कोई थाह नहीं है। हर किसी को इसके रास्ते का पता नहीं। जिसक कारण यहां से केवल वहीं आसानी से निकल सकता है जो कटरी के एरिया के चप्पे-चप्पे से बाखिफ हो। गंगा किनारे रेतीली रास्ता हमेशा अपराधियों के मुनासिफ साबित रहा है। यहीं वजह रही की अभी तक पुलिस जिस स्टीमर से सुरेश प्रधान आया था उसे तलाश नहीं कर पाई है।
सुरेश प्रधान ने स्टीमर से पहुंचकर परमवीर के फार्म हाउस पर हमला किया था। घटना को अंजाम देने के बाद सुरेश प्रधान इस स्टीमर से फरार हो गया था। स्टीमर को बरामद करने के लिए फरीदपुर पुलिस पूरी रात रामगंगा में खाक छानती रही, लेकिन पुलिस को स्टीमर का कोई सुराग नहीं मिला। सुबह 9 बजे से पुलिस टीमें फिर से रामगंगा में स्टीमर की खोज पर निकल गईं। शाम तक पुलिस को आरोपी और उनकी स्टीमर के बारे में कुछ पता नहीं लग सका।
आगरा में जताई जा रही सुरेश के होने की आशंका
ट्रिपल मर्डर केस के बाद से ही सुरेश प्रधान अपने साथियों के साथ लापता है। हमले में घायल होने के बाद सुरेश प्रधान के आगरा में होने की आशंका जताई जा रही है। आरोपियों की तलाश में क्राइम ब्रांच, सर्विलांस और साइबर सेल समेत आधा दर्जन से ज्यादा पुलिस की टीमें लगाई गई है। पुलिस की टीमें आरोपियों को बरेली के साथ- साथ बदायूं, उझानी, बिनावर, कासगंज और एटा में ताबड़तोड़ दबिश दे रही हैं।
पुलिस सूत्रों के हवाले से पता चला है कि अंधाधुंध हुई फायरिंग में सुरेश प्रधान भी गंभीर रूप से घायल हुआ है। हमले में उसका हाथ कट गया है। जिसके बाद वह आगरा पहुंच गया है। सूत्रों की माने तो आगरा के अस्पताल में ही सुरेश प्रधान अपना उपचार करा रहा है।
सुरेश के आगरा में होने की आशंका इसलिए और भी ज्यादा पुख्ता बताई जा रही है क्योंकि अन्य किसी रूट से फरार होते समय सुरेश प्रधान को टोल प्लाजा पर ट्रेस किया जा सकता था, लेकिन आगरा रोड पर कोई भी टोल ना होने की वजह से वह आसानी से किसी भी गाड़ी में सवार होकर बिना ट्रेस हुए वहां पहुंच सकता है। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सर्विलांस टीम भी आरोपी और उनके परिचितों के मोबाइल नंबरों के जरिए उन्हें ट्रेस करने की कोशिश में जुटी हुई है। फिलहाल पुलिस को सुरेश प्रधान का कोई क्लू नहीं मिला है।
फरीदपुर थाने पूछताछ करने पहुंचे डीआईजी अखिलेश
ट्रिपल मर्डर केस के बाद से ही पुलिस आरोपियों की धरपकड़ में जुट गई है। इस दौरान पुलिस ने करीब डेढ़ दर्जन संदिग्ध आरोपियों को हिरासत में लिया है। इन सभी से पूछताछ करने के लिए सुबह ही डीआईजी / एसएसपी अखिलेश कुमार चौरसिया फरीदपुर थाने पहुंच गए। उन्होंने खुद ही फरीदपुर थाने में एक-एक कर आरोपियों से पूछताछ करना शुरू कर दी। देर रात तक संदिग्धों से पूछताछ जारी रही। इस दौरान सुबह पुलिस की टीम फिर से मौके वारदात पर पहुंची, जहां पुलिस ने दोबारा छानबीन की। इस दौरान पुलिस को कारतूस के खाली खोखे मिलने की चर्चा है।