भू-माफिया समेत कब्जाधारी सक्रिय, राजस्व टीम की मिलीभगत

Update: 2023-07-19 04:58 GMT

कैराना: सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के सख्त आदेश के बाद भी कब्जाधारियों के साथ भू-माफिया सक्रिय हैं। कार्यवाही के नाम पर सिस्टम के सारे दावे फेल साबित हो रहे हैं।

नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में कब्जाधारियों के साथ भू-माफियाओं का बोलबाला खुलेआम देखा जा सकता है। शिकायतों के बाद भी कब्जेदारों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त आदेशों के बाद भी सार्वजनिक तालाब की जमीन समेत ग्राम पंचायत और शत्रु संपत्ति की भूमि से कब्जा हटाने में सिस्टम फेल साबित हो रहा है। संपूर्ण समाधान दिवस में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि आम नागरिकों द्वारा कब्जाधारियों के खिलाफ विरोध जताते हुए शिकायती पत्र अधिकारियों को सौंपा जाता है। लेकिन, विभागीय अधिकारियों द्वारा कब्जाधारियों के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई अमल में नहीं लायी जाती है। दूसरी ओर कस्बे सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भू-माफियाओं द्वारा कृषि भूमि को नष्ट कर उसे प्लाट में परिवर्तित कर प्लाट बेचे जा रहे हैं।

राजस्व टीम की मिलीभगत?

क्षेत्रीय हल्का लेखपालों की मिलीभगत के चलते नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में कब्जाधारियों के साथ भू-माफिया अपना पैर पसारते देखे जा सकते हैं। सूत्रों की मानें तो राजस्व टीम की मिलीभगत से सार्वजनिक तालाब की भूमि और ग्राम पंचायत की भूमि के साथ शत्रु संपत्ति पर भी कब्जाधारी मुस्तैद है। सूत्रों का मानना है कि भू-माफियाओं द्वारा अवैध रूप से काटी गई कालोनियों की शिकायत मिलने पर हल्का लेखपाल कालोनियों की जांच कर रिपोर्ट में फेरबदल कर भू-माफियाओं से मिलीभगत कर अधिकारियों को गुमराह करते है।

यहां है शत्रु संपत्ति पर कब्जा

प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के सख्त आदेश के बाद कैराना में कब्जाधारियों पर बाबा का बाहुबली बुलडोजर गरजा था। कस्बे के रामडा रोड पर कुछ लोगों ने शत्रु संपत्ति पर कब्जा कर भवन निर्माण कर लिया था। एक भवन निर्माण को रुकवाते हुए तहसील मुख्यालय के अधिकारियों ने बुलडोजर की मदद से भवन को जमीनदोष कराया था। लेकिन, शत्रु संपत्ति पर अब तक बाकी कब्जाधारी विराजमान है।

शत्रु संपत्ति पर सभासद का कब्जा

बताया जाता है कि कस्बे के रामड़ा रोड पर शत्रु संपत्ति पर वार्ड सभासद का कब्जा है। मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में आते ही राजस्व टीम को जांच के लिए भेजा जाता है। लेकिन नगर पालिका परिषद कैराना के एक वार्ड सभासद द्वारा अन्य कब्जेदारों से मिलीभगत कर सभासद खादी का कुर्ता पहनाकर अपनी बैठक में चाय की चुस्कियों के साथ हल्का लेखपाल को बैठाकर मामले को रफा-दफा करने के लिए सीलबंद लिफाफे दिए जाते है। जिसके चलते अभी तक शत्रु संपत्ति से कब्जा नहीं हटाया जा सका है और कब्जाधारी अभी भी शत्रु संपत्ति पर कब्जा जमाए बैठा है।

एंटी करप्शन की टीम ने रंगे हाथ पकड़ा था लेखपाल

पूर्व में एक भ्रष्ट लेखपाल को एंटी करप्शन की टीम ने रंगे हाथ पकड़ा था। भ्रष्टाचार का दंश फैलाने वाले लेखपाल की जांच ना होना भी चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्रों का माना जाता है कि भ्रष्ट लेखपालों की वजह से तहसील मुख्यालय में बैठे अफसरों पर भी बेबुनियाद आरोप लग उनका दामन भी दागिल होता है।

लेखपालों की निजी दफ्तरों में होती है सांठगांठ

भू-माफिया सहित कब्जाधारियों को तहसील मुख्यालय के दरवाजे पर मंडराते साफ देखा जा सकता है। तहसील मुख्यालय के दरवाजे से पहले ही हल्का लेखपाल उन्हें अपने निजी दफ्तरों में बैठा लेते हैं और ठंडी हवा के साथ सम्मानपूर्वक चाय की चुस्कियों का आनंद उनके साथ लेते हैं। सूत्रों का मानना है कि लेखपालों के निजी दफ्तरों में बैठकर कब्जेदार व भू-माफियाओं अपने खिलाफ होने वाली जांच में अपने पक्ष में रिपोर्ट लगवाने के लिए लेखपालों को बंद लिफाफे देते हैं। सवाल यह भी है कि करोड़ों रुपये की लागत से बनी तहसील में लेखपालों के अलग-अलग सरकारी कार्यालय हैं, लेकिन लेखपाल अपने निजी कार्यालय खोलकर भू-माफियाओं सहित कब्जाधारियों से साठगांठ करते रहते हैं। आखिर तहसील मुख्यालय में बैठे अधिकारी इस ओर ध्यान क्यों नहीं दे रहे हैं? जिससे भ्रष्टाचार का दंश तहसील मुख्यालय सहित हर दरवाजे पर देखा जा सकता है। अगर समय रहते इन मामलों पर अधिकारियों द्वारा संज्ञान नहीं लिया गया तो सरकारी भूमि पर कब्जा करने वालों के हौसला दिन-प्रतिदिन बुलंद होते रहेंगे और जिसके चलते सरकार को नुकसान होता रहेगा।

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