अब कृषि कार्य के लिए ही पंजीकृत होंगी ट्रॉलियां, कॉमर्शियल इस्तेमाल पर लगेगी पाबंदी

Update: 2022-10-18 03:40 GMT

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब कृषि कार्य के लिए ही ट्रॉलियां पंजीकृत होंगी। कॉमर्शियल प्रयोग पर पाबंदी लगेगी। ट्रैक्टर-ट्रॉली से होने वाले हादसों को रोकने की कवायद की जा रही है।

अब ट्रॉलियों का पंजीकरण सिर्फ कृषि कार्य के लिए ही होगा। व्यावसायिक श्रेणी में यह पंजीकृत नहीं होंगी। ट्रॉलियों का इंश्योरेंस कराना होगा और निर्माता को आईआईटी जैसे तकनीकी संस्थान से डबल एक्सेल यानी चार पहियों की ट्रॉली की डिजाइन की अनुमति लेनी होगी।

इसके बाद ही वह चार पहियों की ट्रॉली बना सकेगा। दो पहियों की ट्रॉली न बनेगी और न ही पंजीकृत की जाएंगी। इन प्रमुख बिंदुओं को प्रदेश में ट्रैक्टर-ट्रॉली से होने वाले हादसों पर रोक लगाने के लिए गठित पांच सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है। शासन से रिपोर्ट पर मुहर लगते ही इसे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा।

दरअसल, पिछले दिनों लखनऊ के इटौंजा क्षेत्र, कानपुर और लखीमपुर में हुए हादसों में काफी लोगों की जान गई थी। इनमें दो पहिया ट्रॉली शामिल थी। ऐसे हादसों पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर एक समिति गठित की गई थी।

यह समिति कई बिंदुओं पर मंथन करने के साथ ही पंजाब की नियमावली का भी अवलोकन कर रही है। अपर परिवहन आयुक्त(प्रवर्तन)वीके सोनकिया ने बताया कि रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए एक बैठक हो चुकी है। रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी। इस पर मुहर लगते ही इसे लागू कर दिया जाएगा।

डिजाइन का अप्रूवल होगा अनिवार्य

प्रदेश में ट्रॉलियां बनाने वाली करीब 30 कंपनियां हैं। यह एआरएआई, पुणे से डिजाइन का अप्रूवल लेती हैं। अब इन्हें आईआईटी जैसे तकनीकी संस्थान से भी डिजाइन की अनुमति लेनी होगी। इसके अलावा ट्रैक्टर के साथ ट्रॉली का भी इंश्योरेंस कराने पर जोर दिया जाएगा।

571 ट्रॉलियां ही पंजीकृत

राजधानी में सिर्फ 571 ट्रॉलियां ही आरटीओ कार्यालय में पंजीकृत हैं। इसमें 90 कृषि कार्य और 481 कॉमर्शियल श्रेणी की हैं, जबकि पंद्रह हजार से अधिक ट्रॉलियां बिना पंजीकरण ही राजधानी में दौड़ रही हैं।

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