अब छह राज्यों में बंटेगा हथिनीकुंड बैराज का पानी

Update: 2024-05-29 01:45 GMT

सहारनपुर: हथिनीकुंड बैराज प्राकृतिक पानी का बड़ा स्रोत है, जहां से पांच राज्यों को पीने और सिंचाई के लिए पानी का बंटवारा होता है। इसके लिए पांचों राज्यों के बीच 1994 में एमओयू हुआ था, जो अब 2025 में फिर से होना है। इसमें अब उत्तराखंड को शामिल किया जाएगा।

12 मई 1994 में हुआ समझौता हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के बीच था। इसमें पांचों राज्यों के लिए प्रति वर्ष के लिए पानी की अलग-अलग मात्रा निर्धारित है। इस पानी का इस्तेमाल दिल्ली पीने के लिए और सिंचाई, बाकी राज्य केवल सिंचाई में करते हैं।

समझौते में यह भी तय हुआ था कि पहले उस राज्य को पानी दिया जाएगा, जो पानी का इस्तेमाल पीने के लिए करता है। इसलिए सबसे पहले दिल्ली को पानी दिया जाता है। इसके बाद शेष पानी का बाकी चार राज्यों को दिया जाता है। अब यह समझौता 30 साल बाद 2025 में होगा। इसमें उत्तराखंड भी शामिल रहेगा, क्योंकि 1994 तक उत्तराखंड नहीं बना था। प्रत्येक वर्ष कुल 11.983 बीसीएम पानी का बंटवारा पांच राज्यों को होता है। उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश अपने हिस्से में से पानी देता है। (संवाद)

हथिनीकुंड बैराज से पानी के बंटवारे को लेकर उच्च स्तर से ही कार्रवाई होनी है। फिलहाल राजस्थान अलग से पानी चाहता है, जिसके लिए उच्च स्तर पर बैठकें चल रही हैं। आचार संहिता के बाद इसके आगे बढ़ने की उम्मीद है

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