सिग्नलों में पीली बत्ती ही नहीं, वीआईपी रोड के तिराहों पर भी लगाई लाल बत्ती
कानपूर न्यूज़: लखनऊ के ज्यादातर चौराहों पर ट्रैफिक का संचालन ‘बी अलर्ट’ से होता है. आगरा, वाराणसी, गोरखपुर और यहां तक कि मुरादाबाद जैसे महानगरों में भी यह व्यवस्था है मगर अपने शहर में इसका प्रावधान ही नहीं किया गया. उन मार्गों पर भी लाल बत्ती लगा दी जहां वास्तव में जरूरत ही नहीं थी. यहां तक कि कई ऐसे चौराहे हैं जहां 300 मीटर की दूरी पर ही लाल बत्ती पार करनी पड़ती है.
शहर में रेड सिग्नल लगाने की ऐसी होड़ मची कि तिराहों को भी चौराहों की तरह ट्रीट किया जाने लगा. इसमें वीआईपी रोड बड़ा उदाहरण है. यहां ‘बी अलर्ट’ के इशारे वाली पीली बत्ती की दरकार थी ताकि लोग ठहरते, देखते और निकल जाते. तीन साल पहले यहां भी लाल बत्ती लगा दी गई. जब से ऐसा हुआ तभी से जाम लगने लगा. पहले सिर्फ डीएवी तिराहे के आगे से सरसैया घाट चौराहे के बीच ही जाम लगा करता था. लेकिन अब तो सारे तिराहों पर भी जाम लग जाता है. स्थिति ये होती है कि छोटे-छोटे वाहनों का निकलना तक मुश्किल हो जाता है. डीएवी के अलावा मर्चेंट चैंबर तिराहा, परमट पेट्रोल पंप तिराहा, भैरो घाट तिराहा, रेव थ्री तिराहा और रानी घाट तिराहा पर डबल लेन से वाहन सीधे निकल जाया करते थे. अब लाल बत्ती में खड़े रहते हैं.
हैलट से हर्ष नगर तक चार सिग्नल हैलट अस्पताल से हर्ष नगर तिराहे के बीच चार सिग्नलों को पार करना पड़ता है. मोती झील चौराहे से शिवाजी गेट के बीच लगभग 300 से 400 मीटर की दूरी है मगर दो चौराहों की लाल बत्ती लोगों को पार करनी पड़ती है. एक से निकले नहीं कि दूसरी लाल बत्ती आ जाती है. ऐसे चौराहों पर ‘बी अलर्ट’ वाली पीली बत्ती लगाई जाए तो लोगों को ज्यादा राहत मिले.
टाइमिंग पर भी सवाल लखनऊ में ग्रीन सिग्नल की टाइमिंग खत्म होने के बाद पीली ब्लिंकिंग लाइट जलने का समय 10 सेकेंड का है जबकि शहर में 3 सेकेंड का.