Noida: पुलिस और स्वाट टीम ने गांजा तस्करी का पर्दाफाश किया

चार करोड़ रुपये की कीमत का 800 किलो गांजा बरामद

Update: 2024-06-26 08:56 GMT

नोएडा: सेक्टर-58 पुलिस और स्वाट टीम ने ओडिशा और आंध्र प्रदेश से गांजा लाकर उसे दिल्ली-एनसीआर में सप्लाई करने वाले गिरोह के तीन तस्करों को गिरफ्तार किया. आरोपी कीटनाशक के नीचे ट्रक में गांजा छिपाकर ले जा रहे थे. आरोपियों के कब्जे से चार करोड़ रुपये की कीमत का 800 किलो गांजा बरामद हुआ.

डीसीपी नोएडा विद्या सागर मिश्रा ने बताया कि पुलिस की टीम ने सेक्टर-62 गोल चक्कर के पास चेकिंग कर रही थी. इस दौरान एक ट्रक को रोका गया. ट्रक में कीटनाशक था. संदेह होने पर ट्रक की गहनता से जांच की गई तो उसमें बोरियों से 800 किलो गांजा बरामद हुआ, जिसकी कीमत चार करोड़ रुपये है. इसके बाद तीन गांजा तस्करों को गिरफ्तार किया गया. आरोपियों की पहचान सुदामा चौधरी, प्रवीन पासवान और अनीश के रूप में हुई. इस गिरोह का सरगना सुदामा चौधरी है. पूछताछ में सुदामा ने बताया कि गांजा आंध्र प्रदेश और ओडिशा से लाया जाता है. इसका नशा बढ़ाने के लिए इसे कई महीने तक सुखाया जाता है. इसके पत्तों को सुखाकर पलटा जाता है और इसेमं रासायनिक परिवर्तन किए जाते हैं. इस तरह के गांजे की काफी ज्यादा मांग है, इसलिए बाजार में इसकी कीमत 40 हजार रुपये प्रति किलो है. आरोपियों के पास से पकड़ा गया ट्रक ट्रांसपोर्ट का है. कीटनाशक को की सप्लाई गाजियाबाद में होनी थी.

कार में गांजा ला रहे दो तस्कर पकड़े: दादरी पुलिस ने आंध्र प्रदेश से करीब 25 लाख का गांजा लेकर आ रहे दो तस्करों को गिरफ्तार किया. दोनों गांजा की तस्करी दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में करते थे.

पुलिस ने घोड़ी बछेड़ा गांव के गोल चक्कर पर कार से करीब 25 लाख रुपये की कीमत का गांजा बरामद किया. इस मामले में दीपक कुमार और अजय भाटी निवासी गोकुलपुर दिल्ली को गिरफ्तार किया गया. एडिशनल डीसीपी ग्रेटर नोएडा अशोक कुमार ने बताया कि पुलिस को शक न हो, इसलिए आरोपियों ने ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से गाड़ी को नीचे उतार लिया था. वे गांव के रास्ते दिल्ली जाने का प्रयास कर रहे थे.

ट्रक के आगे चलती थी पुलिस लिखी कार: डीसीपी ने बताया कि आरोपियों के ट्रक के आगे एक किलोमीटर आगे एक पुलिस लिखी कार चलती थी. उसमें बैठे लोग ट्रक में बैठे अपने आदमी को पूरी जानकारी देते थे. ये लोग हमेशा व्हाट्सऐप कॉल करते थे ताकि फोन कॉल को ट्रैक न किया जा सके. जैसे ही उन्हें पुलिस की जानकारी मिलती थी, वे मामा कोड का इस्तेमाल करते थे. इससे ट्रक ड्राइवर समझ लेता था और एक किलोमीटर पहले ही ट्रक को झाड़ियों या लिंक रोड पर खड़ा कर देता था.

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