Noida: किसान ने 100 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा
जहां मॉल बना, उस जमीन के किसान ने 100 करोड़ रुपये मुआवजा मांगा
नोएडा: सेक्टर-18 डीएलएफ मॉल जिस जमीन पर बना है, उसमें अपना हिस्सा बताते हुए एक किसान ने 100 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है.उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में संबंधित सभी पक्षों से जवाब मांगा.करीब दो साल पहले प्राधिकरण इसी जमीन के मुआवजे के तौर पर एक व्यक्ति को करीब 295 करोड़ रुपये मुआवजा दे चुका है।
जिस जमीन पर डीएलएफ मॉल बना हुआ है, वह जमीन सेक्टर-44 स्थित छलेरा बांगर के एक किसान की हुआ करती थी.बेंगलुरू के रहने वाले रेड्डी विरेन्ना ने 24 अप्रैल 1997 को खसरा नंबर-422 और 427 में से करीब 14358 वर्ग मीटर जमीन करीब एक करोड़ रुपये में किसान से खरीदी थी.यहां पहले ही प्राधिकरण ने काफी जमीन का अधिग्रहण कर लिया था.प्राधिकरण ने सिर्फ 7400 वर्गमीटर जमीन रेड्डी के नाम वापस की।
रेड्डी ने फेज-2 सिविल न्यायालय में केस दायर किया.न्यायालय ने जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया, लेकिन प्राधिकरण ने सेक्टर-18 में व्यावसायिक भूखंड की योजना निकाली और 54320 वर्ग मीटर जमीन बेच दी.इस योजना में रेड्डी की जमीन भी शामिल कर ली गई.यह पूरी जमीन प्राधिकरण ने डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को करीब 173 करोड़ रुपये में बेच दी.कंपनी ने यहां पर डीएलएफ मॉल बना दिया.रेड्डी ने उच्च न्यायालय में प्राधिकरण और डीएलएफ कंपनी के खिलाफ याचिका दायर की।
न्यायालय ने कहा कि निर्माण पूरा हो चुका है.ऐसे में जमीन नहीं दी जा सकती है.मुआवजा ही दिया जाएगा.प्राधिकरण ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील की.उच्चतम न्यायालय ने 10 2011 को प्राधिकरण की याचिका खारिज कर दी.प्राधिकरण ने कृषि भूमि प्रतिकर के हिसाब से 181 रुपये 87 पैसे प्रति वर्ग गज और ब्याज सहित करीब 36 लाख रुपये का मुआवजा दे दिया.प्राधिकरण के इस निर्णय के खिलाफ रेड्डी ने वर्ष 2019 में उच्च न्यायालय में व्यावसायिक दर से मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर याचिका दायर की.उच्च न्यायालय ने 28 अक्तूबर 2021 को फैसला सुनाया कि 55 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर और ब्याज मिलाकर मुआवजा दिया जाए.यह राशि करीब 175 करोड़ रुपये आंकी गई।
प्राधिकरण फिर से उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय पहुंच गया.इस पर पांच मई 2022 को उच्चतम न्यायालय ने प्राधिकरण को आदेश दिया कि एक लाख 10 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर और तीन प्रतिशत पैनल ब्याज मिलाकर मुआवजा दिया जाए.यह राशि करीब 350 करोड़ रुपये है.इस पर प्राधिकरण ने पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे 10 अगस्त को खारिज कर दिया गया था.न्यायालय के आदेश के बाद प्राधिकरण ने याचिकाकर्ता से बात की और 295 करोड़ रुपये देने पर सहमति बनी.प्राधिकरण ने 2022 में रेड्डी को भुगतान कर दिया।
प्राधिकरण ने रेड्डी विरेन्ना के साथ ही विष्णु वर्धन की जमीन अधिग्रहित की थी.इस जमीन का कुछ हिस्सा डीएलएफ मॉल के लिए प्रयोग हो चुका है.कुछ समय पहले विष्णु वर्धन ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।