खून के लिए रेफर नहीं होंगे एसएनसीयू से नवजात

Update: 2023-05-29 07:15 GMT

प्रतापगढ़ न्यूज़: मेडिकल कॉलेज के महिला अस्पताल स्थित एसएनसीयू वार्ड में अब नवजात बच्चों को खून चढ़ाया जाने लगा है. अब तक जिन बच्चों को खून चढ़ाने की नौबत आती उन्हें यहां से प्रयागराज रेफर कर दिया जाता था. इससे मरीज व उसके परिजन परेशान होते थे. अब रेफर करने की बजाय बच्चों का यहीं पर मुफ्त में इलाज होगा.

एसएनसीयू वार्ड में समय से पहले जन्मे या पैदा होने के महीनेभर के भीतर गंभीर रूप से बीमार होने पर भर्ती किए जाते हैं. लेकिन अभी तक यहां पर खून नहीं चढ़ाया जाता था. जिसे जरूरत पड़ती उसे डॉक्टर प्रयागराज रेफर कर देते थे. हाल में डॉ. शैलेन्द्र कुशवाहा की ड्यूटी एसएनसीयू वार्ड में लगी. इस दौरान 9 अप्रैल को महिला अस्पताल में चिलबिला निवासी महिला ने बेटे को जन्म दिया.

लेकिन बच्चा 9 महीने की बजाय 7 महीने से भी पैदा हो गया इसलिए बहुत कमजोर था. उसका वजन मात्र 895 ग्राम था. सांस में दिक्कत होने पर उसे एसएनसीयू वार्ड लाया गया तो डॉ. शैलेन्द्र कुशवाहा ने ब्लड चढ़ाने को कहा. अस्पताल के ब्लड बैंक से ब्लड मंगाकर तीन बार उसे 8 से 10 एमएल तक खून चढ़ाया गया. इसके बाद बिना एंटीबायोटिक दिए ही बच्चा सिर्फ ऑक्सीजन, ग्लूकोज व ब्लड के सहारे पूरी तरह स्वस्थ हो गया. वार्ड की एक महिला स्टॉफ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ब्लड चढ़ाने के लिए किसी नए उपकरण की जरूरत नहीं थी. फिर भी पहले के डॉक्टर खून चढ़ाने में जोखिम बताकर प्रयागराज रेफर कर देते थे.

ऐसे में पड़ती है ब्लड चढ़ाने की जरूरत

1-समय से काफी पहले पैदा होने पर.

2-बच्चों के इंफेक्शन के शिकार होने पर.

3-जिन बच्चों की मां एनीमिक होती है.

4-अधिक ब्लड सैंपल लेने से खून कम होने पर.

5-लैट्रिन के रास्ते या मुंह से खून आने पर.

अब तक बच्चों को खून क्यों नहीं चढ़ाया जाता था इस बारे में मुझे जानकारी नहीं. लेकिन अब जरूरत न पड़ने पर खून चढ़ाया जा रहा है. खून के लिए बच्चों को रेफर करने की जरूरत नहीं है.-डॉ. शैलेन्द्र कुशवाहा, ब्ाल रोग एसएनसीयू वार्ड

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